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Hindi News पैसा बिज़नेस NCLAT ने भूषण पावर के ऋणदाताओं को बैठक और बोली को अंतिम रूप देने की अनुमति दी

NCLAT ने भूषण पावर के ऋणदाताओं को बैठक और बोली को अंतिम रूप देने की अनुमति दी

राष्ट्रीय कंपनी विधि अपीलीय न्यायाधिकरण (एनसीएलएटी) ने कर्ज के बोझ से दबी भूषण पावर एंड स्टील के ऋणदाताओं को बैठक करने की अनुमति दे दी है।

Bhushan Power and Steel Limited- India TV Paisa Bhushan Power and Steel Limited

नई दिल्ली। राष्ट्रीय कंपनी विधि अपीलीय न्यायाधिकरण (एनसीएलएटी) ने कर्ज के बोझ से दबी भूषण पावर एंड स्टील के ऋणदाताओं को बैठक करने की अनुमति दे दी है। न्यायाधिकरण ने ऋणदाताओं को कंपनी के लिए बोलियों को अंतिम रूप देने का निर्देश दिया है। अपने पहले के स्थगन आदेश को हटाते हुए एनसीएलएटी ने कंपनी की ऋणदाताओं की समिति (सीओसी) को तीनों कंपनियों - टाटा स्टील, लिबर्टी हाउस और जेएसडब्ल्यू स्टील द्वारा सौंपी गई निपटान योजना पर विचार करने को कहा है।

इसके अलावा न्यायाधिकरण ने सीओसी को तीनों बोली लगाने वाली कंपनियों, परिचालन ऋणदाता यानी कामकाज के लिए कंपनी को ऋण देने वालों तथा निलंबित निदेशकों को भी बैठक में बुलाने का निर्देश दिया है। चेयरमैन न्यायमूर्ति एस जे मुखोपाध्याय की अगुवाई वाली दो सदस्यीय पीठ ने कहा कि सीओसी तत्काल बैठक बुलाकर निपटान योजना पर विचार करेगी और उन्हें मंजूरी देगी।

उन्होंने कहा कि सीओसी से विचार विमर्श के बाद निपटान पेशेवर परिचालन ऋणदाताओं, तीनों निपटान आवेदकों को बैठक बुलाएंगे। निपटान योजना पर विचार की तारीख के दिन ये सभी मौजूद रहने चाहिए। आदेश में कहा गया है कि कंपनी के निदेशक मंडल के निलंबित निदेशकों को बैठक में भाग लेने की अनुमति होगी। इन बैठकों सीओसी निपटान योजना पर विचार करेगी।

इससे पहले 17 जुलाई को एनसीएलएटी ने सीओसी की बैठक पर रोक लगा दी थी। उस दिन सीओसी को बोलियों को अंतिम रूप देना था।

एनसीएलएटी ने कहा कि तीनों में से जो भी योजना सबसे अच्छी तथा धारा 30(2) के अनुरूप होगी और व्यावहारिक होगी और ज्यादातर सीओसी को मंजूर होगी उसके पक्ष में उसी दिन या आगे के तारीख में मतदान किया जा सकता है।

इसके अलावा सीओसी को दूसरी सर्वश्रेष्ठ योजना के बारे में भी बताना होगा ताकि पहली निपटान योजना के साथ समस्या आने पर भविष्य में दूसरी योजना को मंजूरी दी जा सके। अपीलीय न्यायाधिकरण ने आगे कहा कि सीओसी तय की गई निपटान योजना को निर्णय लेने वाले प्राधिकरण के समक्ष रखेगी, जो उसे मंजूरी दे सकता है। हालांकि, इसके लिए उसे पहले न्यायाधिकरण की मंजूरी लेनी होगी।

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