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Hindi News पैसा बिज़नेस Q4 Results: ITC का शुद्ध लाभ 9.8% बढ़कर 2,933 करोड़ रुपए, एमार एमजीएफ को हुआ 724 करोड़ का घाटा

Q4 Results: ITC का शुद्ध लाभ 9.8% बढ़कर 2,933 करोड़ रुपए, एमार एमजीएफ को हुआ 724 करोड़ का घाटा

विभिन्न क्षेत्रों में कारोबार करने वाली कंपनी आईटीसी लिमिटेड का मार्च में समाप्त चौथी तिमाही में एकल शुद्ध लाभ 9.86 प्रतिशत बढ़कर 2,932.71 करोड़ रुपए रहा।

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नई दिल्ली। विभिन्न क्षेत्रों में कारोबार करने वाली कंपनी आईटीसी लिमिटेड का मार्च में समाप्त चौथी तिमाही में एकल शुद्ध लाभ 9.86 प्रतिशत बढ़कर 2,932.71 करोड़ रुपए रहा। इससे पिछले वित्त वर्ष की इसी अवधि में कंपनी को 2,669.47 करोड़ रुपए का शुद्ध लाभ हुआ था। शेयर बाजार को दी जानकारी में कंपनी ने बताया कि समीक्षावधि में उसकी शुद्ध बिक्री 10,705.75 करोड़ रुपए रही, जो 2016-17 की जनवरी-मार्च तिमाही में 14,882.75 करोड़ रुपए थी। 

कंपनी ने बताया कि जुलाई में माल एवं सेवाकर (जीएसटी) लागू होने से उसकी आय में इसे शामिल किया गया है, जबकि इससे पिछले वित्त वर्ष की इसी तिमाही में उत्पाद शुल्क और वैट को इसमें शामिल किया गया था। कंपनी का कुल व्यय इस अवधि में 6,996.46 करोड़ रुपए रहा, जो इससे पिछले वित्त वर्ष की समान अवधि में 11,363.78 करोड़ रुपए था। 

इसके अलावा कंपनी ने अलग से जानकारी दी कि उसके निदेशक मंडल ने अपने मुख्य कार्यकारी अधिकारी और पूर्णकालिक निदेशक संजीव पुरी की पदोन्नति करके उन्हें प्रबंध निदेशक बना दिया है। इसके अलावा कंपनी ने एक रुपए अंकित मूल्य के प्रत्येक शेयर पर 5.15 रुपए का लाभांश देने की घोषणा की है। 

एमार एमजीएफ को 2017-18 में 724 करोड़ रुपए का घाटा 

रियल्‍टी कंपनी एमार एमजीएफ लैंड को 2017-18 में 724.1 करोड़ रुपए का शुद्ध घाटा हुआ है। इससे पिछले वित्त वर्ष में उसे 754.36 करोड़ रुपए का घाटा हुआ था। कंपनी ने शेयर बाजारों को बताया कि अलोच्य अवधि में उसकी कुल आय 43 प्रतिशत बढ़कर 1,363.83 करोड़ रुपए हो गई, जो कि 2016-17 में 953.89 करोड़ रुपए थी। अधिक आय के बावजूद एमार एमजीएफ को घाटा हुआ क्योंकि उसका कुल खर्च 2016-17 में 1,708.25 करोड़ रुपए से बढ़कर 2017-18 में 2,087.93 करोड़ रुपए हो गया। 

एमार एमजीएफ लैंड दुबई की कंपनी एमार प्रॉपर्टीज और भारतीय कंपनी एमजीएफ डेवलपमेंट का संयुक्त उद्यम है। एमार ने 2005 में रियल्‍टी क्षेत्र में सबसे बड़े एफडीआई के साथ भारतीय बाजार में कदम रखा था और संयुक्त उद्यम के जरिए रियल एस्टेट बाजार में 8,500 करोड़ रुपए का निवेश किया था। हालांकि, अप्रैल 2016 में दोनों कंपनियों ने अलग होने का फैसला किया। राष्ट्रीय कंपनी विधि न्यायाधिकरण ने इस वर्ष जनवरी में बंटवारे के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी। 

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