Hindi News पैसा बिज़नेस पीला सोना ने बढ़ाई किसानों की कमाई बढ़ने की उम्‍मीदें, रकबा में हुआ 10 प्रतिशत का इजाफा

पीला सोना ने बढ़ाई किसानों की कमाई बढ़ने की उम्‍मीदें, रकबा में हुआ 10 प्रतिशत का इजाफा

कृषि उपज का बढ़िया दाम मिलने की चाहत में देश के किसान इस बार सोयाबीन की बुवाई को काफी तरजीह दे रहे हैं। सोयाबीन को पीला सोना भी कहा जाता है।

soybean- India TV Paisa Image Source : SOYBEAN soybean

इंदौर। कृषि उपज का बढ़िया दाम मिलने की चाहत में देश के किसान इस बार सोयाबीन की बुवाई को काफी तरजीह दे रहे हैं। सोयाबीन को पीला सोना भी कहा जाता है। नतीजतन मौजूदा खरीफ सत्र की जारी बुवाई के दौरान इस तिलहन फसल का रकबा पिछले साल के मुकाबले 10 प्रतिशत बढ़कर लगभग 94 लाख हेक्टेयर पर पहुंच गया। 

केंद्रीय कृषि मंत्रालय के 20 जुलाई तक के आंकड़ों के मुताबिक देश में 93.87 लाख हेक्टेयर में सोयाबीन की बुवाई की गई है, जबकि पिछले खरीफ सत्र की समान अवधि में इस तिलहन फसल का रकबा 84.64 लाख हेक्टेयर था। पीले सोने के रूप में मशहूर सोयाबीन का रकबा मध्यप्रदेश में 44.41 लाख हेक्टेयर, महाराष्ट्र में 32.13 लाख हेक्टेयर और राजस्थान में 9.45 लाख हेक्टेयर है। 

इंदौर के भारतीय सोयाबीन अनुसंधान संस्थान (आईआईएसआर) के निदेशक वीएस भाटिया ने आज बताया कि देश में सोयाबीन की करीब 90 प्रतिशत बुवाई पूरी हो चुकी है। फसल की स्थिति फिलहाल ठीक है। उन्होंने कहा कि सोयाबीन के न्यूनतम समर्थन मूल्य में इजाफे से इस तिलहन फसल की ओर किसानों के रुझान में वृद्धि हुई है। 

केंद्र सरकार ने वर्ष 2018-19 के खरीफ विपणन सत्र के लिए सोयाबीन के न्यूनतम समर्थन मूल्य को करीब 11.5 प्रतिशत बढ़ाकर 3,399 रुपए प्रति क्विंटल कर दिया है। जानकारों ने बताया कि घरेलू प्रसंस्करणकर्ता सोयाबीन पेराई तेज करने की तैयारी कर रहे हैं, क्योंकि देश से सोया खली (प्रसंस्करण इकाइयों में सोयाबीन का तेल निकाल लेने के बाद बचने वाला प्रोटीनयुक्त उत्पाद) के निर्यात अवसरों में इजाफा हुआ है। लिहाजा अनुमान है कि प्रसंस्करणकर्ता अपने संयंत्रों को पूरी क्षमता से चलाने के लिए सोयाबीन की नई फसल की खरीदी बढ़ा सकते हैं। 

इंदौर स्थित सोयाबीन प्रोसेसर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (सोपा) के मुताबिक यूरोप से मांग बढ़ने के कारण जून में भारत से सोया खली और इससे बने उत्पादों का निर्यात करीब 22.5 प्रतिशत की बढ़त के साथ 1.36 लाख टन पर पहुंच गया। उल्लेखनीय है कि सोया खली से सोया आटा और सोया बड़ी जैसे खाद्य उत्पादों के साथ पशु आहार तथा मुर्गियों का दाना भी तैयार किया जाता है। 

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