Hindi News पैसा बिज़नेस GST परिष्‍ाद की बैठक में चीनी पर सेस और डिजिटल भुगतान की छूट पर नहीं हुआ फैसला, आएगा सिंगल मंथली रिटर्न फॉर्म

GST परिष्‍ाद की बैठक में चीनी पर सेस और डिजिटल भुगतान की छूट पर नहीं हुआ फैसला, आएगा सिंगल मंथली रिटर्न फॉर्म

माल एवं सेवा (जीएसटी) परिषद ने शुक्रवार को अपनी 27वीं बैठक में यह फैसला किया है कि रिटर्न प्रक्रिया को सरल बनाने और अनुपालन को बढ़ाने के लिए कारोबारियों के लिए एक सिंगल मंथली रिटर्न फॉर्म पेश किया जाएगा।

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नई दिल्‍ली। माल एवं सेवा (जीएसटी) परिषद ने शुक्रवार को अपनी 27वीं बैठक में यह फैसला किया है कि रिटर्न प्रक्रिया को सरल बनाने और अनुपालन को बढ़ाने के लिए कारोबारियों के लिए एक सिंगल मंथली रिटर्न फॉर्म पेश किया जाएगा। इस सिंगल मंथली रिटर्न फॉर्म को पूरी तरह से ऑपरेशनल होने में छह माह का वक्‍त लगेगा और तब तक मौजूदा जीएसटीआर-3बी और जीएसटीआर-1 सिस्‍टम को चालू रखा जाएगा। यह बात वित्‍त सचिव हसमुख अधिया ने बैठक के बाद पत्रकारों से कही।

अधिया ने बताया कि सिंगल रिटर्न फॉर्म सभी के लिए लागू होगा। यह फॉर्म उन कारोबारियों के लिए नहीं होगा जिन्‍होंने कम्‍पोजिशन स्‍कीम को चुना है और निल रिटर्न फाइल करते हैं। डिजिटल के जरिए भुगतान पर प्रोत्साहन के मुद्दे पर जेटली ने कहा कि ज्यादातर राज्य इस बात के पक्ष में है कि अगर सारा भुगतान डिजिटल या चेक के रूप में किया जाता है तो दो प्रतिशत प्रोत्साहन दिया जाना चाहिए। लेकिन कुछ राज्य एक छोटी ‘ निषेधात्मक सूची ’ बनाए जाने के पक्ष में हैं। इसलिए इस मुद्दे को राज्यों के वित्तमंत्रियों के पांच सदस्यीय समूह के पास भेजा जाएगा। 

पश्चिम बंगाल के वित्‍त मंत्री अमित मित्रा ने बताया कि राज्‍यों ने जीएसटी दरों के ऊपर उपकर लगाने का विरोध किया है। परिषद ने गन्‍ना किसानों की मदद करने के लिए चीनी पर उपकर लगाने का फैसला अभी टाल दिया है। राज्‍यों ने इसका विरोध किया था। वित्‍त मंत्री बताया कि किसानों की मदद करने के लिए एक 5 मंत्रियों की समिति गठित करने का फैसला लिया गया है। यह समिति दो हफ्ते में अपनी सिफारिशें देगी। इस समिति की घोषणा अगले दो दिन में की जाएगी।

वित्‍त मंत्री अरुण जेटली की अध्‍यक्षता वाली परिषद ने जीएसटी नेटवर्क (जीएसटीएन) को सरकारी कंपनी में बदलने के प्रस्‍ताव को भी अपनी मंजूरी दे दी है। केंद्र सरकार जीएसटीएन में निजी कंपनियों से 51 प्रतिशत हिस्‍सेदारी खरीदेगी। इसे 100 प्रतिशत सरकारी कंपनी में बदला जाएगा। राज्यों के पास सामूहिक रूप से इसकी 49 प्रतिशत हिस्सेदारी रहेगी।

 

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