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जलाशयों में एयरोड्रम के प्रस्ताव को मंत्रालय की मंजूरी, पहले चरण के लिए ओडिशा और गुजरात में की गई 3 जगहों की पहचान

नागर विमानन मंत्रालय ने देश में जलाशयों में एयरोड्रम बनाने के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी। इसके पहले चरण के लिए ओडिशा के चिल्का झील और गुजरात के सरदार सरोवर बांध तथा साबरमती रिवर फ्रंट की पहचान की गयी है।

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नई दिल्ली नागर विमानन मंत्रालय ने देश में जलाशयों में एयरोड्रम बनाने के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी। इसके पहले चरण के लिए ओडिशा के चिल्का झील और गुजरात के सरदार सरोवर बांध तथा साबरमती रिवर फ्रंट की पहचान की गयी है। एक अधिकारी ने इसकी जानकारी दी। इस प्रस्ताव को नागर विमानन मंत्री सुरेश प्रभु ने शुक्रवार को मंजूरी दे दी है। नागर विमानन महानिदेशालय (DGCA) ने इस संबंध में इस साल जून में नियमन जारी किया था जिसमें जलाशयों में बने एयरोड्रम के लाइसेंस की जरूरतों एवं प्रक्रियाओं का जिक्र किया गया था।

अधिकारी ने कहा, चूंकि किसी भी विमानन कंपनी से इस क्षेत्र में बाजार व मांग संबंधी ऐतिहासिक आंकड़े नहीं मिले हैं, परियोजना पर प्रायोगिक तौर पर काम किया जाएगा। इससे हवाई संपर्क को विस्तृत करने के लिए एम्फीबियन विमानों (जल एवं स्थल दोनों से उड़ान भरने में सक्षम) के परिचालन का रास्ता तैयार होगा।

प्रस्ताव के तहत पर्यटन तथा धार्मिक महत्व के स्थानों के नजदीक ऐसे एयरोड्रम बनाये जाएंगे। भारतीय विमानपत्तन प्राधिकरण (एएआई) ने इसके लिए ओडिशा, गुजरात, असम, महाराष्ट्र और आंध्र प्रदेश में जगहों की पहचान पहले ही कर ली है।

अधिकारी ने कहा कि पहले चरण में जलाशयों में एयरोड्रम बनाने के लिए ओडिशा में चिल्का झील तथा गुजरात में सरदार सरोवर बांध और साबरमती रिवर फ्रंट की पहचान की गयी है। इससे पहले नागर विमानन सचिव आरएन चौबे ने भी कहा था कि उनका मंत्रालय उड़ान योजना के तीसरे चरण के तहत सीप्लेन का परिचालन शुरू करने के प्रस्ताव पर विचार कर रहा है।

डीजीसीए के अनुसार, जलाशय में बने एयरोड्रम के लिए आवेदन करने वाले किसी भी निकाय को रक्षा मंत्रालय, गृह मंत्रालय, पर्यावरण एवं वन मंत्रालय और नौवहन मंत्रालय समेत विभिन्न प्राधिकरणों की मंजूरी लेनी होगी। यह लाइसेंस दो साल के लिए वैध होगा।

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