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Hindi News पैसा बिज़नेस शुरु हुआ चाबहार बंदरगाह का पहला चरण, भारत को होंगे ये बड़े फायदे

शुरु हुआ चाबहार बंदरगाह का पहला चरण, भारत को होंगे ये बड़े फायदे

ईरान के दक्षिणी तट पर सिस्तान-बलूचिस्तान प्रांत तट का यह बंदरगाह भारत के पश्चिमी तट से नजदीक है और आसानी से संपर्क के योग्य है।

चाबहार पोर्ट- India TV Paisa Image Source : PTI चाबहार पोर्ट

नयी दिल्ली। भारत की मदद से बने ईरान के दक्षिणी तट पर स्थित चाबहार बंदरगाह पर नव निर्मित विस्तार क्षेत्र का उद्घाटन राष्ट्रपति हसन रूहानी ने किया। ईरान के लिए आर्थिक दृष्टि से महत्‍वपूर्ण चाबहार बंदरगाह भारत के लिए रणनीतिक दृद्धि से भी बेहद महत्‍वपूर्ण है। ओमान की खाड़ी के इस बंदरगाह की मदद से भारत अब पाकिस्तान का रास्ता बचा कर ईरान और अफगानिस्तान के साथ एक आसान और नया व्यापारिक मार्ग अपना सकता है। आइए हम बताते हैं कि भारतीय सीमा से दूर बने इस बंदरगाह से भारत को क्‍या फायदा होगा।

ईरान के दक्षिणी तट पर सिस्तान-बलूचिस्तान प्रांत तट का यह बंदरगाह भारत के पश्चिमी तट से नजदीक है और आसानी से संपर्क के योग्य है। इसे पाकिस्तान में चीनी निवेश से बन रहे गवादर बंदरगाह का जवाब माना जा रहा है। पाकिस्तान का गवादर बंदरगाह चाबहार से महज 80 किलोमीटर पश्चिम में है। राष्ट्रपति रूहानी के कार्यालय के अनुसार, उन्होंने उद्घाटन समारोह में कहा, ‘‘क्षेत्रीय मार्गों पर भूमि, समुद्र और हवा के जरिये आवागमन एवं परिवहन की सुविधा होनी चाहिए।’’ भारत व्यापार के लिए भरोसेमंद और वैकल्पिक मार्ग बनाने के लिए ईरान और अफगानिस्तान के साथ मिलकर करीबी से काम कर रहा था। 

भारत ने अफगानिस्तान को 1.10 लाख टन गेहूं से भरा पहला जहाज पिछले महीने इसी बंदरगाह के रास्ते भेजा था। पिछले साल मई में ईरान के साथ हुए एक करार के तहत भारत ने 10 साल के पट्टे पर इस बंदरगाह में 852.10 लाख डॉलर के निवेश एवं 229.5 लाख डॉलर के सालाना राजस्व खर्च के साथ प्रथम चरण में दोनों गोदियों को माल चढ़ाने उतारने के यंत्र उपकरणों एवं सुविधाओं से लैस करने तथा उनके परिचालन की जिम्मेदारी ली।  इस विस्तार से इस बंदरगाह की क्षमता तीन गुना बढ़ जाएगी और यह पड़ोसी मुल्क पाकिस्तान में निर्माणाधीन गवादर बंदरगाह के लिए एक बड़ी चुनौती होगा। 

इस 34 करोड़ डॉलर की परियोजना का निर्माण ईरान की रीवॉल्यूशनरी गार्ड (सेना ) से संबद्ध कंपनी खातम अल-अनबिया कर रही है। यह सरकारी निर्माण परियोजना का ठेका पाने वाली ईरान की सबसे बड़ी कंपनी है। ठेका पाने वालों में कई छोटी कंपनियां भी शामिल हैं जिनमें भारत की एक सरकारी कंपनी भी शामिल है। इस बंदरगाह की सालाना मालवहन क्षमता 85 लाख टन होगी जो अभी 25 लाख टन है। इस विस्तार में पांच नयी गोदिया हैं जिनमें से दो पर कंटेनर वाले जहाजों के लिए सुविधा दी गई है। 

भारत के लिए यह बंदरगाह इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि इससे भारत के लिए मध्य एशिया से जुड़ने का सीधा रास्ता उपलब्ध कराएगा और इसमें पाकिस्तान का कोई दखल नहीं होगा। उल्लेखनीय है कि चाबहार बंदरगाह के उद्घाटन से पहले विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने कल तेहरान में ईरान के विदेश मंत्री जावेद जरीफ से मुलाकात की थी। बैठक के दौरान चाबहार बंदरगाह परियोजना के क्रियान्वयन समेत अन्य मुद्दों पर चर्चा की गयी थी। स्वराज शंघाई सहयोग संगठन के वार्षिक सम्मेलन में भाग लेने के लिए रूस के सोची गयी हुई थीं। वहां से वापसी में वह कुछ देर तेहरान में रुकी थीं।

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