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Hindi News पैसा बिज़नेस बैंक ऑफ इंडिया ने पात्र संस्थागत नियोजन के जरिए पूंजी जुटाने की योजना टाली, सरकार देगी 2257 करोड़ रुपए

बैंक ऑफ इंडिया ने पात्र संस्थागत नियोजन के जरिए पूंजी जुटाने की योजना टाली, सरकार देगी 2257 करोड़ रुपए

सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक ऑफ इंडिया (बीओआई) ने इक्विटी शेयर के निजी नियोजन के आधार 3,000 करोड़ रुपए की पूंजी जुटाने की योजना टाल दी है। बैंक ने सरकार के 2,257 करोड़ रुपए की पूंजी डाले जाने के निर्णय के बाद योजना टाली है।

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नई दिल्ली सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक ऑफ इंडिया (बीओआई) ने इक्विटी शेयर के निजी नियोजन के आधार 3,000 करोड़ रुपए की पूंजी जुटाने की योजना टाल दी है। बैंक ने सरकार के 2,257 करोड़ रुपए की पूंजी डाले जाने के निर्णय के बाद योजना टाली है। बैंक ऑफ इंडिया के प्रबंध निदेशक दीनबंधु महापात्र ने कहा कि हमने पात्र संस्थागत नियोजन (QIP) के आधार पर पूंजी जुटाने की योजना टाल दी है। इसका कारण सरकार का 2,257 करोड़ रुपए की पूंजी डाले जाने का निर्णय है। इससे बैंक को फिलहाल और पूंजी की जरूरत नहीं है। उन्होंने यह भी कहा कि रिजर्व बैंक के तत्काल सुधारात्मक कार्रवाई (PCA) के कारण QIP की योजना नहीं टाली गयी है। यह फैसला PCA से पहले किया गया था।

महापात्र ने कहा कि राष्ट्रीय कंपनी विधि न्यायाधिकरण (NCLT) के अंतर्गत दबाव वाली संपत्ति के समाधान को लेकर कुछ सकारात्मक गतिविधियां हो रही हैं और सरकार ने और पूंजी डालने का संकेत दिया। ऐसे में हमने वास्तविक रूप से पूंजी डाले जाने तथा उसके बाद QIP के लिए जाने का फैसला किया। इस तरीके से हम अपने शेयरों का अधिक मूल्य प्राप्त कर पाएंगे।

उल्लेखनीय है कि मार्च में बही-खातों की जांच के बाद रिजर्व बैंक ने बैंक को तत्काल सुधारात्मक कार्रवाई के अंतर्गत रखा है। हालांकि, बैंक को उम्मीद है कि वह रिजर्व बैंक की निगरानी सूची से जल्दी ही बाहर हो जाएगा क्योंकि उसने फंसे कर्ज की वसूली के लिए आक्रमक रणनीति अख्तियार की है। पूंजी जुटाने के अन्य स्रोत के बारे में पूछे जाने पर महापात्र ने कहा कि हम अपनी कुछ गैर-प्रमुख संपत्ति की बिक्री की योजना बना रहे हैं।

उन्होंने कहा कि इसके अंतर्गत बैंक एसटीसीआई (पूर्व में सिक्योरिटीज ट्रेडिंग कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया) में अपनी पूरी 29 प्रतिशत हिस्सेदारी बेचने के लिए पहले ही अनुरोध प्रस्ताव जारी कर चुका है। यह सौदा चालू वित्त वर्ष में होने की उम्मीद है।

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