A
Hindi News पैसा बजट 2022 सरकार की मुद्रास्फीति पर नजर, नियंत्रण में रहेगी महंगाई: सीतारमण

सरकार की मुद्रास्फीति पर नजर, नियंत्रण में रहेगी महंगाई: सीतारमण

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि सरकार ने पिछले पांच साल लगातार मुद्रास्फीति पर नियंत्रण रखा और आगे भी सरकार इस पर अंकुश बनाये रखेगी। 

Nirmala Sitharaman says Inflation will remain under control - India TV Paisa Nirmala Sitharaman says Inflation will remain under control 

नयी दिल्ली। आम बजट 2019-20 में पेट्रोल, डीजल पर उत्पाद शुल्क और उपकर बढ़ने से महंगाई बढ़ने की आशंका के बीच वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने शनिवार को कहा कि सरकार ने पिछले पांच साल लगातार मुद्रास्फीति पर नियंत्रण रखा और आगे भी सरकार इस पर अंकुश बनाये रखेगी। मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल का पहला बजट पेश करते हुए सीतारमण ने पेट्रोल, डीजल पर विशेष अतिरिक्त उत्पाद शुल्क और सड़क एवं अवसंरचना उपकर के रूप में प्रति लीटर दो- दो रुपये की वृद्धि की है। माना जा रहा है कि पेट्रोल, डीजल के दाम बढ़ने से महंगाई पर दबाव बढ़ेगा। 

ये भी पढ़ें : 5 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था पर Pm Modi का बड़ा बयान, वाराणसी में कही ये बात

लोकसभा में वर्ष 2019- 20 का बजट पेश करने के बाद शनिवार को यहां संवाददाताओं के साथ बातचीत में वित्त मंत्री ने महंगाई के सवाल पर कहा, ‘‘सरकार ने पिछले पांच साल महंगाई को लगातार नियंत्रण में रखा है। इस दौरान थोक महंगाई लगातार नीचे बनी रही और एक बार भी चार प्रतिशत से ऊपर नहीं गई।’’ उन्होंने कहा कि जब भी महंगाई की स्थिति बिगड़ी सरकार ने तुरंत कदम उठाये और इसे नियंत्रण में लाया है। 

सीतारमण ने महंगाई के सवाल पर कहा, ‘‘महंगाई नियंत्रण में रहेगी। सरकार की इस पर बराबर नजर रही है, जब भी हालात बिगड़े हैं सरकार ने तुरंत कदम उठाये हैं। पिछले पांच साल के दौरान 2014 में जब नई सरकार बनी तब अरहर दाल के दाम 200 रुपये पर पहुंचे थे, उड़द, मूंग के दाम भी आसमान छू रहे थे। सरकार ने कदम उठाये और दाम नीचे आये।’’ 

ये भी पढ़ें : देश को उच्च आर्थिक वृद्धि दर के रास्ते पर लाने का खाका पेश करता है बजट : जेटली

उल्लेखनीय है कि जिंसों के दाम में स्थिरता लाने के इरादे से सरकार ने मूल्य स्थिरीकरण कोष बनाया। इसका मकसद जरूरी जिंसों के दाम में तेजी पर काबू रखना था। वित्त मंत्री ने अर्थशास्त्रियों का हवाला देते हुये कहा कि अर्थशास्त्री तो यह भी मानते हैं कि मुद्रास्फीति का लगातार नीचे रहना ठीक नहीं, इसका आर्थिक वृद्धि पर भी असर पड़ता है। उन्होंने कहा, ‘‘मुद्रास्फीति का एकदम नीचे या बहुत ऊपर होना ठीक नहीं है।’’ इसे उचित स्तर पर रखा जाना चाहिये। देश में आर्थिक वृद्धि और रोजगार बढ़ाने के वास्ते इसमें संतुलन रखने की जरूरत है। 

मोदी सरकार के पिछले पांच साल के कार्यकाल में थोक मूल्य सूचकांक आधारित मुद्रास्फीति जनवरी, फरवरी 2016 के आसपास शून्य से भी नीचे गिर गई थी। मई 2016 के आसपास थोक मुद्रास्फीति का आंकड़ा जहां छह प्रतिशत से ऊपर अथवा इसके आसपास था वहीं मोदी सरकार के आने के बाद यह चार प्रतिशत के आसपास अथवा उससे नीचे ही रहा। 

Latest Business News