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Hindi News लाइफस्टाइल जीवन मंत्र मुर्दे में भी ये मंत्र डाल देगा जान, बस नवरात्र में करें ये काम

मुर्दे में भी ये मंत्र डाल देगा जान, बस नवरात्र में करें ये काम

दैत्यों के गुरु शंकराचार्य मृत संजीवनी पढ़कर मरे हुए दैत्यों को फिर से जिंदा कर देते थे। आज हम आपको मृत संजीवनी विद्या के बारें में बताएंगे। 31 अक्षरों वाली इस विद्या को सिद्ध करके मरे हुये व्यक्ति को भी जिंदा किया जा सकता है

मृत संजीवनी मंत्र- India TV Hindi मृत संजीवनी मंत्र

धर्म डेस्क: 21 मार्च को नवरात्र का चौथा दिन है। नवरात्र के चौथे दिन देवी दुर्गा के कुष्माण्डा स्वरूप की पूजा की जाती है। संस्कृत भाषा में कुष्माण्डा का अर्थ कुम्हड़े से है, जिसे आम भाषा में हम कद्दू या पेठा कहते हैं और जिसकी घर में हम सब्जी भी बनाते हैं।

आपने सुना होगा कि दैत्यों के गुरु शंकराचार्य मृत संजीवनी पढ़कर मरे हुए दैत्यों को फिर से जिंदा कर देते थे। आज आचार्य इंदु प्रकाश आपको मृत संजीवनी विद्या के बारें में बताएंगे। 31 अक्षरों वाली इस विद्या को सिद्ध करके मरे हुये व्यक्ति को भी जिंदा किया जा सकता है, ऐसा जिक्र शास्त्रों में आया है। इस मंत्र का नवरात्र में 31000 बार जप करने से मंत्र का भाव खुलने लगता है।

एक-दो नवरात्र करने के बाद इसकी पुरश्चरणी साधना करनी चाहिए। मरे हुये व्यक्ति को जीवित करना आसान काम नहीं है, लेकिन मरते हुये व्यक्ति में प्राण फूंक देना सरल है। आप अगर ये मंत्र सिद्ध कर लें, तो घर में कभी कोई बीमार पड़े, तो यह मंत्र 7 बार पढ़कर, पानी फूंककर पिलाने से आराम मिलता है और बीमार व्यक्ति जल्दी ठीक हो जाता है, उसमें जीवनी शक्ति का संचार हो जाता है।

आप भी इस मंत्र का नवरात्र में 31000 बार जप करके इस मंत्र से लाभ ले सकते हैं। चूंकि आज नवरात्र का चौथा दिन है। अतः बचे हुए नवरात्र के दौरान संभव है कि आप इस मंत्र का पूरा जाप न कर सकें। लेकिन अगर आप इस मृतसंजीवनी विद्या का जाप नवरात्र के दौरान शुरू करके नवरात्र के बाद तक पूरा कर लें, तो आपकी विद्या आसानी से सिद्ध हो जायेगी। अतः बचे हुए चार नवरात्र के दौरान अगर आप इस मंत्र का ग्यारह हजार बार भी जाप कर लें और बाकी बीस हजार मंत्रों का जाप नवरात्र के बाद आप थोड़ी-थोड़ी संख्या में जारी रखें, तो आपकी विद्या सिद्ध हो जायेगी। आप इन थोड़े से शब्दों को सिद्ध करके मौत का गला घोंट सकते हैं। जानिए इस मंत्र के बारें में।

''ऊं ह्रीं ह्रीं वं वं ऐं ऐं मृतसंजीवनि विद्ये मृतमुत्थापयोत्थापय क्रीं ह्रीं ह्रीं वं स्वाहा''।

इस मृत संजीवनी मंत्र का जाप उत्तर दिशा की ओर मुंह करके मृगचरम, या रेशम के आसन पर बैठकर करना चहिए। साथ ही स्फटिक या रुद्राक्ष की माला पर जप करना चाहिए।

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