A
Hindi News लाइफस्टाइल जीवन मंत्र Holi 2019: संत वारिस अली शाह की दरगाह में हिंदू-मुस्लिम एक साथ उड़ाते हैं भाईचारे के रंग

Holi 2019: संत वारिस अली शाह की दरगाह में हिंदू-मुस्लिम एक साथ उड़ाते हैं भाईचारे के रंग

Holi 2019: हाजी बाबा (Haji Baba) कहे जाने वाले सूफी वारिस अली शाह की दरगाह के गेट के पास हर साल हिंदू और मुसलमान मिलकर होली के उल्लास में डूब जाते हैं और यह परंपरा देवा की होली को बाकी स्थानों से अलग करती है।

 haji waris ali shah dargah dewa barabanki- India TV Hindi  haji waris ali shah dargah dewa barabanki

Holi 2019:  'जो रब है, वही राम' का संदेश देने वाले सूफी संत हाजी वारिस अली शाह की देवा स्थित दरगाह के परिसर में हर साल हिंदुओं और मुसलमानों द्वारा खेली जाने वाली होली उनके इस पैगाम की तस्दीक करती है।

बड़े अदब से हाजी बाबा कहे जाने वाले सूफी वारिस अली शाह की दरगाह के गेट के पास हर साल हिंदू और मुसलमान मिलकर होली के उल्लास में डूब जाते हैं और यह परंपरा देवा की होली को बाकी स्थानों से अलग करती है।

उत्तर प्रदेश के बाराबंकी जिले के देवा कस्बे में स्थित हाजी वारिस अली शाह की दरगाह पर रोजाना हजारों की तादाद में जायरीन आकर दुआ मांगते हैं। इनमें बड़ी संख्या में गैर मुस्लिम श्रद्धालु भी शामिल होते हैं। यह दरगाह पूरे देश में सांप्रदायिक भाईचारे और सद्भाव के प्रतीक के तौर पर जानी जाती है।

भाईचारे की अटूट परंपरा को पिछले करीब 4 दशक से संभाल रहे शहजादे आलम वारसी ने बताया कि हाजी बाबा का यह आस्ताना देश की शायद ऐसी पहली दरगाह है जहां होली के दिन हिंदू और मुसलमान एक साथ गुलाल उड़ाकर होली का जश्न मनाते हैं। इस दौरान हिंदुस्तान की गंगा जमुनी तहजीब की शानदार झलक नजर आती है।

वारसी ने बताया कि दरगाह के बाहर बने कौमी एकता गेट पर होली के दिन चाचर का जुलूस निकाला जाता है जिसमें दोनों समुदायों के लोग हिस्सा ले लेते हैं। इस तरह वे हाजी बाबा के ‘जो रब है वही राम’ के संदेश को उसके मूल रूप में परिभाषित करते हैं।

स्थानीय निवासी राम अवतार ने बताया कि हाजी बाबा की दरगाह पर होली खेलने का रिवाज वह बचपन से देख रहे हैं। यहां आकर इसे देखकर यह महसूस होता है कि हमारी गंगा जमुनी तहजीब कितनी मजबूत है और मुल्क तथा क़ौम की तरक्की के लिए ऐसी परंपराओं को हमेशा बनाए रखना होगा।

हालांकि यह परंपरा कब से शुरू हुई इस बारे में कोई पुख्ता जानकारी उपलब्ध नहीं है। मगर चूंकि हाजी बाबा के मानने वालों में बहुत बड़ी संख्या गैर मुस्लिमों की है और खुद हाजी बाबा सभी धर्मों का बराबर सम्मान करते थे, लिहाजा यह माना जाता है कि उनके मुरीदों ने उनकी इस सोच को और आगे बढ़ाते हुए दरगाह के गेट के पास हर साल गुलाल से होली खेलने की परंपरा डाली।

Holika Dahan 2019: इस शुभ मुहूर्त में करें होलिका दहन, साथ ही जानें पूजा विधि और पौराणिक कथा

Holi 2019: होली में रंगों के साथ ज्यादा मस्ती हो सकती है जानलेवा, ऐसे रखें खुद का ख्याल

Holi 2019: त्वचा से होली का रंग हटाने में मदद करेंगे यह आसान उपाय

Happy Holi 2019: होली में अपने करीबियों और दोस्तों को Wishes, Quotes, Status, SMS, भेज करें विश

Latest Lifestyle News