Hindi News लाइफस्टाइल जीवन मंत्र Independence Day 2018: ये पढ़ लेंगे तो कभी राष्ट्रगान और राष्ट्रगीत में फर्क करना नहीं भूलेंगे

Independence Day 2018: ये पढ़ लेंगे तो कभी राष्ट्रगान और राष्ट्रगीत में फर्क करना नहीं भूलेंगे

 स्वतंत्रता दिवस 2018: जवाहर लाल नेहरु का वह पहला भाषण शायद ही कोई भूल सकता है, जब उन्होंने लाल किला से खड़ा होकर भारत की आजादी की घोषणा की और उन्होंने अपने भाषण में “ट्रीस्ट ओवर डेस्टिनी” शब्द का जिक्र किया। 

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नई दिल्ली: स्वतंत्रता दिवस 2018: जवाहर लाल नेहरु का वह पहला भाषण शायद ही कोई भूल सकता है, जब उन्होंने लाल किला से खड़ा होकर भारत की आजादी की घोषणा की और उन्होंने अपने भाषण में “ट्रीस्ट ओवर डेस्टिनी” शब्द का जिक्र किया। यह वही खास दिन था 15 अगस्त, 1947 जब एक आजादा भारत की घोषणा की गई। आपको बता दें कि भारत अपना 72वीं स्वतंत्रा दिवस मनाने जा रहा है। आज आपको स्वतंत्रता दिवस से जुड़ी कुछ बातों का जिक्र करेंगे। स्वतंत्रता दिवस के दिन देश के प्रधानमंत्री लाल किले पर झंड़ा फहराते हैं और फिर राष्ट्रगान गाया जाता है। राष्ट्रगान के आलावा राष्ट्रगीत में भी कई अवसरों पर गाया जाता है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि राष्ट्रगान और राष्ट्रगीत में क्या अंतर है? आज हम आपको राष्ट्रगान और राष्ट्रगीत का अंतर बताने जा रहे हैं।

आइये जानते हैं राष्ट्रगान और राष्ट्रगीत में अंतर

राष्ट्रगान
राष्ट्रगान को रविन्द्रनाथ टैगोर ने लिखा था। संविधान सभा ने ''जन-गण-मन'' को 24 जनवरी 1950 को राष्ट्रगान के रूप में स्वीकार किया था। राष्ट्रगान को पहली बार साल 1911 में कोलकाता में कांग्रेस के एक कार्यक्रम में गाया गया था।

राष्ट्रगीत
भारत का राष्ट्रगीत वंदे मातरम है। वंदे मातरम की रचना बंकिम चन्द्र चटर्जी ने की थी। वंदे मातरम बंगाली भाषा के उपन्यास आनंदमठ (अभय आनंद) में लिखी कविता थी। वंद मातरम को रवींद्रनाथ टैगोर ने स्वरबद्ध किया और साल 1896 में पहली बार कांग्रेस के कलकत्ता अधिवेशन में यह गीत गाया गया। 24 जनवरी, 1950 को वंदे मातरम को राष्ट्रगीत का दर्जा दिया गया।(Independence Day 2018: इस स्वतंत्रता दिवस गांधी, नेहरू, तिलक के इन प्रसिद्ध Slogans के बार जरूर याद करें)

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