Hindi News लाइफस्टाइल हेल्थ मूसड़ों में रहती है ये दिक्कत, तो हो सकते हैं 'थ्रोट कैंसर' के लक्षण, जानिए इस बीमारी से जुड़ी बातें

मूसड़ों में रहती है ये दिक्कत, तो हो सकते हैं 'थ्रोट कैंसर' के लक्षण, जानिए इस बीमारी से जुड़ी बातें

इन अंगों में कैंसर वाले रोगियों मेंसे करीब आधे की 12 माह के अंदर मौत हो जाती है।“इन अंगों के कैंसर के दो तिहाई मामले के लिए तम्बाकू, सुपारी एवं मदिरा के सेवन जिम्मेदार है। 

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हेल्थ डेस्क: विश्वभर में तेजी से पैर पसार रहे कैंसर वर्तमान में मौत के सबसे बड़ों कारणों में से एक है। विशेषज्ञों ने कहा है कि सिर एवं गले के कैंसर से पीड़ित रोगियों में से करीब आधे रोगी एक साल के अंदर दम तोड़ देते हैं। इन अंगों में कैंसर वाले रोगियों मेंसे करीब आधे की 12 माह के अंदर मौत हो जाती है।“इन अंगों के कैंसर के दो तिहाई मामले के लिए तम्बाकू, सुपारी एवं मदिरा के सेवन जिम्मेदार है। यह बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है कि ये तीनों चीजें हमारे देश में सहज उपल्बध हैं। भारत में हर साल इन अंगों के कैंसर के एक लाख 75 हजार नये मामले सामने आते हैं जिनमें 76 प्रतिशत पुरुष और 24 प्रतिशत महिलाएं शामिल हैं।” देश में सिगरेट से अधिक सेवन तम्बाकू का होता है और गले और मुख के कैंसर के 90 प्रतिशत मामले तम्बाकू खाने की वहज से है।

यह बेहद दुखद है कि विश्व में तम्बाकू का सबसे अधिक इस्तेमाल भारत में हो रहा है और दो दशक में इसके इस्तेमाल से मुख के कैंसर का मामला चिंताजनक रूप से बढ़ा है। विशेषज्ञों का मानना है कि तम्बाकू के कारण मरने वालों की संख्या में बेतहाशा बढ़ोतरी हो रही है और अगर इस पर लगाम नहीं लगाया गया तो विकासशील देशों में 80 प्रतिशत मौतें तम्बाकू के करण होगी। उच्चतम न्यायालय ने 23 सितम्बर 2016 को ऐतिहासिक फैसला देते हुए गुटखा और तम्बाकू को प्रतिबंधित करने का आदेश दिया था लेकिन लचर क्रियान्वयन के कारण ये जान लेवा चीजें आज भी बेहद सुगमता से उपलब्ध हैं। 

भारत में ब्रेस्ट या सर्वाइकल कैंसर से भी ज्य़ादा मौतें मुंह या गले के कैंसर के कारण होती हैं। महानगरों, छोटे शहरों, गांवों तक थ्रोट या माउथ कैंसर के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं। हाल के वर्षों में 20-25 वर्ष की आयु वालों को भी यह बीमारी अपनी चपेट में ले रही है। इसका सबसे बड़ा कारण है तंबाकू सेवन और धूम्रपान की लत।

क्या है थ्रोट कैंसर
कैंसर में असामान्य कोशिकाएं शरीर में दुगनी गति से फैलने लगती हैं और इन पर नियंत्रण मुश्किल हो जाता है। थ्रोट कैंसर वॉयस बॉक्स, वोकल कॉर्ड और मुंह के अन्य हिस्सों जैसे टॉन्सिल्स में भी हो सकता है। जानकारी और जागरूकता किसी समस्या से बचने की जरूरी शर्त है। शरीर के प्रति सजग रहने से कई समस्याएं हल हो सकती हैं।

क्या है लक्षण
गले के कैंसर के लक्षण आसानी से पकड़ में नहीं आते। यदि इनमें से एक या अधिक लक्षण दिखें तो तुरंत डॉक्टर को दिखाएं

आवाज बदल रही हो या भारी हो रही हो

मूसड़ों में सूजन या दांतों में दर्द

गले में गांठें महसूस हों

मुंह में लगातार दर्द रहे, खून निकले

गले में जकडऩ, सांस लेने में तकलीफ

खाना खाने में परेशानी

लगातार थकान, नींद कम आना

मुंह के अंदर लाल, सफेद या गहरे रंग के पैचेज बनना

खाना चबाने या जीभ को हिलाने में दर्द का अनुभव

सांस से दुर्गंध महसूस होना या कान में अकारण दर्द

कफ आना और इसमें कई बार रक्त के धब्बे दिखना

लगातार वजन कम होना।

क्या है कारण
धूम्रपान या तंबाकू का सेवन करने वाले लोगों को थ्रोट कैंसर ज्य़ादा होता है। इसमें वे लोग भी आते हैं जो अप्रत्यक्ष रूप से धूम्रपान करने वालों के संपर्क में आते हैं। स्त्रियों में भी इसके लक्षण दिखाई देते हैं। तंबाकू के सेवन से श्वास नली की कार्य प्रणाली पर विपरीत प्रभाव पड़ता है। इससे कैंसर का खतरा बढ़ जाता है।(पीठ-कमर में हो रहे लगातार दर्द से इस तरह पाएं निजात)

यदि कोई व्यक्ति एल्कोहॉल के साथ धूम्रपान भी करता है तो उसे मुंह का कैंसर होने का खतरा बढ़ जाता है। एल्कोहॉल और निकोटिन का एक साथ सेवन नुकसानदेह है। इसके अलावा सड़क पर उडऩे वाली धूल, वुड डस्ट या केमिकल डस्ट के कारण भी थ्रोट कैंसर हो सकता है।(अक्सर कान के पीछे रहता है दर्द तो हो सकती है ये खतरनाक बीमारी)

सल्फर डाइऑक्साइड, क्रोमियम और आर्सेनिक भी कैंसर का खतरा बढ़ाते हैं। पिछले कुछ वर्षों से धूम्रपान न करने वाले लोगों में भी मुंह या गले के कैंसर के लक्षण दिखाई देने लगे हैं। तंबाकू के अलावा थ्रोट कैंसर के कुछ और भी कारण हैं।

दांतों की उचित देखभाल न करने या दांतों में होने वाली समस्या को टालने से भी भविष्य में यह समस्या हो सकती है। विटमिन ए की कमी भी इसका एक कारण है। इसके अलावा कैंसर आनुवंशिक भी हो सकता है।(रोजाना खाली पेट खाएं किशमिश और एक सप्ताह के अंदर देखें कमाल)

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