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भागवत ने कहा-राम मंदिर निर्माण मुद्दा निर्णायक दौर में, इसके लिए संघ कुछ भी करेगा

धर्म संसद में मौजूद साधु संतों ने भी मंदिर निर्माण में हो रही देरी के लिए साफ साफ अपनी नाराज़गी ज़ाहिर की। हालांकि दो दिन तक चली संसद मे राम मंदिर निर्माण का प्रस्ताव पास कर दिया गया, साथ ही उन लोगों के गुस्से को शांत करने की कोशिशें भी हुईं

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नई दिल्ली: प्रयागराज में दो दिन तक चली धर्म संसद के बाद ये प्रस्ताव तो पास हो गया कि राम मंदिर का निर्माण जल्द से जल्द शुरू किया जाय, साथ ही कोर्ट से भी जल्द फैसला देने की अपील की गई लेकिन आरएसएस चीफ मोहन भागवत के सामने जिस तरह का हंगामा मचा उससे साफ हो गया कि मंदिर निर्माण की तारीख न मिलने की बेचैनी को अब छिपाया नहीं जा सकता। ये नारे प्रयागराज में वीएचपी की धर्म संसद में गूंजे थे। अयोध्या में राम मंदिर बनाने के लिए पूरे देश से संत महंत जुटे थे और उनकी मौजूदगी में संघ प्रमुख मोहन भागवत ने साफ कहा कि राम मंदिर बनाने के लिए संघ कुछ भी करेगा

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रमुख मोहन भागवत ने शुक्रवार को कहा कि यह मामला निर्णायक दौर में है, मन्दिर बनने के किनारे पर है इसलिए हमें सोच समझकर कदम उठाना पड़ा। उन्होंने यह भी कहा कि जनता में प्रार्थना, आवेश और जरूरत पड़ी तो आक्रोश भी जगाया जाना चाहिए। संघ प्रमुख ने कहा, "जिस शब्दों में और जिस भावना से यह प्रस्ताव (राम मंदिर निर्माण) यहां आया है, उस प्रस्ताव का अनुमोदन करने के लिए मुझे कहा नहीं गया है, लेकिन उस प्रस्ताव का संघ के सर संघचालक के नाते मैं संपूर्ण अनुमोदन करता हूं।"

सर संघचालक मोहन भागवत ने कहा, इलाहाबाद उच्च न्यायालय की लखनऊ पीठ के फैसले से यह साबित हो गया था कि ढांचे के नीचे मंदिर है। अब हमारा विश्वास है कि वहां जो कुछ बनेगा वह भव्य राम मंदिर बनेगा और कुछ नहीं बनेगा। ये वो दावा है जो संघ ना जाने कितने साल से कर रहा है लेकिन यहां आए साधु-संतों को कुछ ठोस आश्वासन की उम्मीद थी।

धर्म संसद में मौजूद साधु संतों ने भी मंदिर निर्माण में हो रही देरी के लिए साफ साफ अपनी नाराज़गी ज़ाहिर की। हालांकि दो दिन तक चली संसद मे राम मंदिर निर्माण का प्रस्ताव पास कर दिया गया, साथ ही उन लोगों के गुस्से को शांत करने की कोशिशें भी हुईं जो नारेबाज़ी कर रहे थे। धर्म संसद में मांग की गई है कि सुप्रीम कोर्ट राम मंदिर मामले पर रोज सुनवाई कर दो-तीन महीने में कोई फैसला दे। केंद्र सरकार के गैर विवादित जमीन को वापस लेने के फैसले का ज़बरदस्त स्वागत किया गया है।

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