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Hindi News भारत राजनीति सुब्रमण्यम स्वामी का दावा- अर्थशास्त्र नहीं जानते PM मोदी और अरुण जेटली

सुब्रमण्यम स्वामी का दावा- अर्थशास्त्र नहीं जानते PM मोदी और अरुण जेटली

सुब्रमण्यम स्वामी ने दावा किया कि न तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और ना ही वित्त मंत्री अरुण जेटली को अर्थव्यवस्था की जानकारी है क्योंकि वे भारत को पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यस्था बताते हैं जबकि भारत इस सूची में तीसरे स्थान पर है।

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कोलकाता: भाजपा सांसद सुब्रमण्यम स्वामी ने शनिवार को दावा किया कि न तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और ना ही वित्त मंत्री अरुण जेटली को अर्थव्यवस्था की जानकारी है क्योंकि वे भारत को पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यस्था बताते हैं जबकि भारत इस सूची में तीसरे स्थान पर है। स्वामी ने परोक्ष रूप से प्रशंसा करते हुए कहा कि उन्हें यह समझ नहीं आता कि प्रधानमंत्री ऐसा क्यों कहते हैं कि भारत विश्व की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है जबकि सकल घरेलू उत्पाद (GDP) गणना की वैज्ञानिक रूप से स्वीकार्य प्रक्रियाओं के अनुसार, भारत अमेरिका और चीन के बाद तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है।

अपनी टिप्पणियों को लेकर अक्सर विवाद पैदा करने वाले स्वामी ने कहा, ‘‘मुझे नहीं पता कि हमारे प्रधानमंत्री यह क्यों कहते रहते हैं कि पांचवीं सबसे बड़ी... क्योंकि उन्हें अर्थशास्त्र की जानकारी नहीं है और वित्त मंत्री भी अर्थशास्त्र नहीं जानते।’’

हार्वर्ड से अर्थशास्त्र विषय में पीएचडी करने वाले और वहां यह विषय पढाने वाले स्वामी अक्सर जेटली की आलोचना करते रहे हैं। स्वामी ने कहा कि विनिमय दरों पर आधारित गणना के अनुसार भारतीय अर्थव्यवस्था विश्व में पांचवें स्थान पर है। उन्होंने कहा कि विनिमय दरें बदलती रहती हैं और रुपये में गिरावट होने के कारण, भारत इस तरह की गणना के आधार पर फिलहाल सातवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है।

स्वामी ने कहा कि अर्थव्यवस्था के आकार की गणना का सही तरीका क्रय शक्ति क्षमता है और इसके आधार पर भारत फिलहाल तीसरे स्थान पर है। उन्होंने ‘‘एंगेजिंग पीपल्स रिपब्लिक ऑफ चाइना’’ विषय पर यहां लोगों के समूह को संबोधित करते हुए कहा कि औपनिवेशिक बलों के आक्रमण से पहले तक भारत और चीन विश्व में क्रमश: पहले और दूसरे स्थान के सबसे समृद्ध देश हुआ करते थे।

स्वामी ने कहा कि जवाहर लाल नेहरू ने 1950 में संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में भारत को स्थायी सदस्यता से इनकार कर दिया था। उन्होंने कहा कि देश के पहले प्रधानमंत्री ने ‘‘सर्वोदय मूड’’ में कहा था कि यह (स्थायी सदस्यता) चीन को जानी चाहिए।

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