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जम्मू-कश्मीर सीमा पर गोलीबारी के बाद शांति, अलगाववादियों के प्रदर्शन पर रोक के लिए श्रीनगर में प्रतिबंध

पाकिस्तान की ओर से सीमा पार से दो दिन तक की गई भारी गोलीबारी के बाद जम्मू क्षेत्र के निवासियों के लिए शनिवार की रात अपेक्षाकृत शांत रही।

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जम्मू: पाकिस्तान की ओर से सीमा पार से दो दिन तक की गई भारी गोलीबारी के बाद जम्मू क्षेत्र के निवासियों के लिए शनिवार की रात अपेक्षाकृत शांत रही। तीन दिनों तक पाकिस्तान की तरफ से हुई भारी गोलीबारी में भारत के छह नागरिक समेत 10 लोगों की मौत हो गई। वहीं 50 से ज्यादा घायल भी हो गए हैं। बीएसएफ और पुलिस अधिकारियों ने बताया कि अंतरराष्ट्रीय सीमा से लगती हुई जम्मू, कठुआ और सांबा जिलों में कल रात से और नियंत्रण रेखा से लगती हुई रजौरी और पुंछ जिले में तड़के चार बजे से पाकिस्तान की ओर से गोलीबारी की कोई खबर नहीं है। 

बीएसएफ के एक प्रवक्ता ने बताया, “अरनिया सेक्टर में कल रात कुछ राउंड की गोलीबारी के बाद अंतरराष्ट्रीय सीमा पर लगभग शांति थी।” उन्होंने बताया कि सांबा और कठुआ जिलों में सीमा पार से गोलीबारी कल दोपहर रूक गई थी लेकिन जम्मू जिले के कुछ इलाकों में रूक-रूक गोलीबारी हो रही थी। 

अरनिया सेक्टर में कल रात करीब 10 बजे के आसपास कुछ गोले गिरे थे लेकिन इससे कोई नुकसान नहीं हुआ। एक अधिकारी ने बताया कि शाहपुर सेक्टर को छेड़कर नियंत्रण रेखा से लगते हए पुंछ और रजौरी में भी करीब शांति रही और कल शाम से पाकिस्तान की तरफ से भारी गोलीबारी की खबर नहीं है। 

उन्होंने बताया कि पुंछ के शाहपुर सेक्टर में छोटे हथियारों से कुछ घंटों के लिए तड़के चार बजे तक गोलीबारी हुई लेकिन कोई हताहत नहीं हुआ। उन्होंने बताया कि अधिकारी स्थिति पर करीबी नजर बनाए हुए हैं और प्रभावित इलाकों के लोगों को तत्काल सहायता मुहैया कराने के लिए पुलिस टीम संबंधित क्षेत्रों में जा रहे हैं। उन्होंने बताया कि लोगों को घरों में बंद रहने और किसी भी संदिग्ध वस्तु को छूने से मना किया गया है। लोगों से कहा गया है कि अगर उन्हें कोई गोला मिलता है तो वह इसकी सूचना पुलिस को दें। 

​इस बीच जम्मू एवं कश्मीर सरकार ने रविवार को 21 जनवरी 1990 को हुई 55 लोगों की हत्याओं के विरोध में आहूत प्रदर्शन को रोकने के लिए श्रीनगर के कुछ हिस्सों में प्रतिबंध लगा दिया है। 

अलगाववादियों के एक समूह ने 'गाव कादल नरसंहार' की 28वीं वर्षगांठ पर विरोध प्रदर्शन आहूत किया है। इस नरसंहार के दौरान कथित तौर पर 55 लोग मारे गए थे और कई लोग घायल हो गए थे, जब सुरक्षा बलों ने रात के समय घर-घर चलाए गए तलाशी अभियान के दौरान सरकारी बलों के उत्पीड़न के खिलाफ विरोध कर रहे लोगों पर गोलियां चलाई थीं। 

एक बयान के अनुसार, "रविवार को रैनावाड़ी, खानयार, नौहट्टा, एम.आर गंज, सफा कदल, मैसुमा, क्रालखुद समेत सात पुलिस स्टेशनों के अंतर्गत आने वाले इलाकों में धारा 144 लागू रहेगी।"

प्रतिबंधित व संवेदनशील इलाकों में कानून और व्यवस्था बनाए रखने के लिए केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल और राज्य पुलिस बलों की टुकड़ियों को तैनात किया गया है। 
वाहनों के आवागमन को रोकने के लिए कंटीली तारें लगाई गई हैं। इन इलाकों में केवल आपातकाल स्थिति में ही पैदल आवागमन की अनुमति है।

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