Hindi News भारत राजनीति उमर अब्दुल्ला ने कहा, कश्मीर मुद्दे पर केंद्र को हुर्रियत के साथ बात करनी चाहिए

उमर अब्दुल्ला ने कहा, कश्मीर मुद्दे पर केंद्र को हुर्रियत के साथ बात करनी चाहिए

रावत ने बुधवार को कहा था कि ऐसे वक्त में जब अमेरिका और रूस की तरह आतंकवादी संगठनों के साथ बातचीत की जानी चाहिए लेकिन बिना किसी पूर्व शर्त के।

If ready to talk with Taliban, why not Hurriyat, asks Omar Abdullah | PTI File- India TV Hindi If ready to talk with Taliban, why not Hurriyat, asks Omar Abdullah | PTI File

कोलकाता: नेशनल कांफ्रेंस के अध्यक्ष फारूक अब्दुल्ला ने कहा कि कश्मीर में सिर्फ बातचीत के जरिए दीर्घकालिक शांति हासिल की जा सकती है और केन्द्र को हुर्रियत नेताओं के साथ बातचीत करनी चाहिए। तालिबान के साथ बिना किसी पूर्व शर्त के बातचीत करने के सेना प्रमुख बिपिन रावत के बयान का हवाला देते हुए जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री ने गुरुवार को कहा कि यदि सेना ऐसी सलाह दे सकती है तो केन्द्र को भी कश्मीर मुद्दा सुलझाने के लिए हुर्रियत से बातचीत करनी चाहिए।

सेन्टर फॉर पीस ऐंड प्रोग्रेस की ओर से आयोजित ‘जम्मू-कश्मीर, आगे की राह’ चर्चा पर बोलते हुए अब्दुल्ला ने कहा कि हुर्रियत नेताओं के पास भारतीय पासपोर्ट हैं और अतीत में पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहार वाजपेयी ने उनके साथ बातचीत की है। उन्होंने कहा, ‘सेना और बल प्रयोग कभी भी कश्मीर संकट का समाधान नहीं हो सकता है और स्थाई शांति सिर्फ बातचीत से हासिल हो सकती है।’ लोकसभा चुनाव के बाद कश्मीर मुद्दे पर बातचीत शुरू होने की आशा जताते हुए अब्दुल्ला ने कहा कि प्रत्येक चुनाव ने देश को जोड़ने के बजाए उसे विभाजित किया है। उन्होंने कहा, ‘दिल्ली और कश्मीर के बीच अविश्वास है और देश में घृणा का माहौल पैदा किया गया है।’

रावत ने बुधवार को कहा था कि ऐसे वक्त में जब अमेरिका और रूस तालिबान से बातचीत कर रहे हैं, आतंकवादी संगठनों के साथ बातचीत की जानी चाहिए लेकिन बिना किसी पूर्व शर्त के। इस चर्चा में सेना के पूर्व प्रमुख शंकर रॉय चौधरी ने 2009 सिविल सेवा परीक्षा के टॉपर IAS अधिकारी शाह फैसल के इस्तीफे का मुद्दा उठाया। चौधरी ने कहा, ‘उनके इस्तीफे की बात सुनकर हमें धक्का लगा। उन्हें इस्तीफा नहीं देना चाहिए था। पिछले कुछ वर्षों में कश्मीर से एक अच्छी बात सामने आयी है कि युवा बड़ी संख्या में सेना में भर्ती हो रहे हैं और सरकारी नौकरियों में जा रहे हैं।’

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