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Hindi News भारत राजनीति गुजरात चुनाव के नतीजों को लेकर नेताओं की नींद गायब, दिल्ली से गांधीनगर तक...आज रतजगा है!

गुजरात चुनाव के नतीजों को लेकर नेताओं की नींद गायब, दिल्ली से गांधीनगर तक...आज रतजगा है!

कौन जीता और कौन हारा इससे परदा उठेगा लेकिन नतीजों की सुबह तक पहुंचने के लिए अभी रात से गुज़रना है। रात गहरी हो रही है और नेताओं की नींद उड़ी है...

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नई दिल्ली: गुजरात चुनाव में किसके दावे पुरज़ोर और किसके दावे कमज़ोर हैं, इसकी असलियत वोटिंग मशीन के सुपुर्द है। चंद घंटों बाद सुबह का सूरज उगेगा और नतीजों की बारिश होगी। कौन जीता और कौन हारा इससे परदा उठेगा लेकिन नतीजों की सुबह तक पहुंचने के लिए अभी रात से गुज़रना है। रात गहरी हो रही है और नेताओं की नींद उड़ी है। सुबह क्या फ़ैसला आएगा ये जानने की बेचैनी से आंखों से नींद गायब है।

दिल्ली से गांधीनगर तक...आज रतजगा है!

ये सोने की नहीं जागने की रात है। ल्यूटियंस की नई दिल्ली से गुजरात के गांधीनगर तक ये रात बड़ी भारी है। ये खामोश लबों से सत्ता के आने या चले जाने की भविष्यवाणी की रात है। ये कयासों की रात है वो कयास जो एग्जिट पोल ने लगाए। राहुल गांधी की रणनीति और मेहनत इस बार असरदार रही या नहीं। हार्दिक पटेल का पाटीदार, जिग्नेश का दलित और अल्पेश ठाकुर का ओबीसी कार्ड। राहुल गांधी के साथ इस तिकड़ी ने कांग्रेस का हाथ मज़बूत किया या नहीं। एग्जिट पोल कहते हैं कि फायदा तो हुआ लेकिन कितना...क्या इस फायदे का प्रसाद मिलेगा या फिर मामला खाली बर्तन है।

नतीजों को लेकर नेताओं की नींद गायब

सबका सब-कुछ दांव पर लगा है। गुजरात और नरेंद्र मोदी का पर्याय सच होगा या नहीं। जिस गुजरात के दम पर नरेंद्र मोदी प्रधानमंत्री बने, वो दम कायम है या नहीं? अमित शाह के जिस संगठन और रणनीतियों के सहारे बीजेपी दो-तिहाई हिंदुस्तान पर काबिज हुई…वो अपने घर में ही कमाल करेगी या नहीं?

और सबसे अहम ये राहुल गांधी की अग्नि-परीक्षा की रात है। भला कौन होगा जो हार से अध्यक्ष की पारी की शुरुआत करना चाहेगा। कौन नहीं होगा जो जीत से खाता खोलना चाहेगा लेकिन चाहने से क्या होगा वही होगा जो गुजरात की जनता जनार्दन को मंज़ूर होगा लिहाज़ा ये रात सबके लिए रतजगा की रात है।

गुजरात चुनाव के क्लाइमैक्स की रात

हार्दिक, जिग्नेश और अल्पेश की तिकड़ी सियासत से आसमान पर अनगाइडेड मिसाइल है। जाति के निशाने पर लगी तो कांग्रेस की बल्ले-बल्ले और नहीं लगी तो बीजेपी की। राहुल की नींद गायब है कि इसी तिकड़ी की ताकत के भरोसे वो महत्वाकांक्षी जीत के दावे कर रहे हैं। तिकड़ी चले तो बात बन जाए लेकिन न चले तो खेल खराब हो जाए। खेल बनने-बिगड़ने की आशंका से फैसले की रात राहुल को रतजगा करा रही है।

परीक्षा की रात इस नई नवेली तिकड़ी के लिए भी है। गुजरात में नरेंद्र मोदी से मुकाबला मोल लिया है। पहली ही बार सियासत के सबसे बड़े सिकंदर को घर में घेरा है। नरेंद्र मोदी को हराने और कांग्रेस को जीतने की भविष्यवाणी की है। इनके दावे और भविष्यवाणी क्या कमाल दिखाएंगे ... ये गुजरात के सियासी स्टार बनकर सत्ता सुख हासिल करेंगे या सियासत के पहले ही दंगल में टांय-टांय फिस्स हो जाएंगे... इसी उधेड़बुन वाली रात है इनकी।

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