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Hindi News भारत राजनीति क्या सुरक्षा सलाहकार अजित डोभाल ने भाजपा की चुनावी रणनीति बैठक में हिस्सा लिया, माकपा ने गृहमंत्री से मांगा जवाब

क्या सुरक्षा सलाहकार अजित डोभाल ने भाजपा की चुनावी रणनीति बैठक में हिस्सा लिया, माकपा ने गृहमंत्री से मांगा जवाब

अगरतला में, माकपा के राज्य सचिव बिजान धर ने कहा कि राजनाथ सिंह ने भारतीय जनता पार्टी के महासचिव राम माधव और राष्ट्रीय स्वंय सेवक संघ के वरिष्ठ नेता कृष्ण गोपाल समेत अन्य के साथ बैठक की थी।

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नई दिल्ली/अगरतला: मार्क्‍सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) ने सोमवार को मीडिया रिपोर्ट के हवाले से कहा कि यह 'स्तब्ध करने वाला' है कि राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (एनएसए) अजित डोभाल ने त्रिपुरा में चुनावी रणनीति को लेकर गृहमंत्री राजनाथ सिह के घर पर हुई बैठक में हिस्सा लिया था। माकपा ने एक बयान में कहा, "मीडिया के कुछ धड़ों ने रिपोर्ट किया है कि राजनाथ सिह के आवास पर आगामी त्रिपुरा, मेघालय और नागालैंड में होने वाले चुनाव के लिए भाजपा और आरएसएस नेताओं की बैठक हुई थी।"

माकपा ने कहा, "कुछ मीडिया ने यह रिपोर्ट प्रकाशित की है कि बैठक में डोभाल भी उपस्थित थे। अगर सही है तो, यह नियमों का स्तब्ध करने वाला उल्लंघन और गंभीर कदाचार है।" पार्टी के अनुसार, "कैसे एनएसए जैसा सरकारी तंत्र का एक शीर्ष पदाधिकारी भाजपा के चुनावी अभियान की बैठक में हिस्सा ले सकता है? गृह मंत्रालय को तत्काल स्पष्टीकरण देना चाहिए।"

अगरतला में, माकपा के राज्य सचिव बिजान धर ने कहा कि राजनाथ सिंह ने भारतीय जनता पार्टी के महासचिव राम माधव और राष्ट्रीय स्वंय सेवक संघ के वरिष्ठ नेता कृष्ण गोपाल समेत अन्य के साथ बैठक की थी। उन्होंने मुख्य चुनाव आयुक्त ए.के. जोति को लिखे पत्र में कहा कि डोभाल भी उस बैठक में उपस्थित थे।

माकपा की केंद्रीय समिति के सदस्य धर ने कहा कि एनएसए जैसा अतिमहत्वपूर्ण पद संभाल रहे व्यक्ति का भाजपा की बैठक में रहना न केवल अवांछनीय और आपत्तिजनक है, बल्कि सत्तारूढ़ भाजपा के द्वारा प्रशासन के जबरदस्त दुरुपयोग का उदाहरण है। गौरतलब है कि त्रिपुरा, मेघालय और नगालैंड में 60-60 विधानसभा सीटें हैं। वहीं, इन तीनों राज्यों का विधानसभा कार्यकाल मार्च में खत्म हो रहा है। नगालैंड में नागाल पीपुल्स फ्रंट की सरकार है। इस सरकार को बीजेपी का सपोर्ट है। मेघालय में कांग्रेस की सरकार है और त्रिपुरा में माकपा की अगुवाई वाला वाममोर्चा राज्य में 1993 से सत्ता में है।

पूर्वोत्तर का राज्य त्रिपुरा लेफ्ट का मजबूत किला माना जाता है। पिछले पांच विधानसभा चुनावों से लेफ्ट का कब्जा है। माणिक सरकार ने 2013 के विधानसभा चुनावों में ईमानदारी को एक प्रमुख मुद्दा बताया और जीत के साथ वामपंथी पार्टियों का झंडा बुलंद किया था। लेकिन इस बार राज्य का सियासी मिजाज गड़बड़ाया है। लेफ्ट के इस दुर्ग में बीजेपी सेंधमारी की लिए बेताब है।

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