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Hindi News भारत राष्ट्रीय तो इस बात के चलते तूतीकोरिन के स्टारलाइट प्लांट के विरोध में आए लोग, जानिए पूरा मामला

तो इस बात के चलते तूतीकोरिन के स्टारलाइट प्लांट के विरोध में आए लोग, जानिए पूरा मामला

तमिलनाडु के तूतीकोरिन जिले में वेदांता ग्रुप की कंपनी स्टारलाइट कॉपर का विरोध कर रहे स्थानीय लोगों की मंगलवार को पुलिस से हिंसक झड़प हो गई है। इस झड़प में अब तक 11 लोगों की मौत हो चुकी है वहीं 50 लोग इस झड़प में घायल हो गए हैं।

<p><span style="color: #333333; font-family: sans-serif,...- India TV Hindi  इस प्लांट के अंदर धातु गलाया जाता है। (फोटो- पीटीआई)

तूतीकोरिन: तमिलनाडु के तूतीकोरिन जिले में वेदांता ग्रुप की कंपनी स्टारलाइट कॉपर का विरोध कर रहे स्थानीय लोगों की मंगलवार को पुलिस से हिंसक झड़प हो गई है। यहां के स्थानीय लोग इस प्लांट के विरोध में करीब 100 दिनों से प्रदर्शन कर रहे हैं। पुलिस के साथ हुई इस झड़प में अब तक 11 लोगों की मौत की जानकारी सामने आ चुकी है वहीं 50 लोग इस झड़प में घायल हो गए हैं। 

किस चीज के उत्पादन से जुड़ा है ये प्लांट
वेदांता ब्रिटेन से जुड़ा ये प्लांट कॉपर के उत्पादन से जुड़ा प्लांट है। इस प्लांट के अंदर धातु गलाया जाता है। कॉपर को गला कर यहां हर साल चार लाख टन कॉपर के तार बनाए जाते हैं। कंपनी की योजना इस प्लांट को उत्पादन को जल्द ही दोगुना करने की है।

किस बात का है विरोध
तूतीकोरिन जिला तमिलनाडु का 10वां सबसे ज्यादा आबादी वाला शहर है। यहां के स्थानीय लोग भारी मात्रा में इस प्लांट का विरोध कर रहे हैं। स्थानीय लोगों का आरोप है कि ये प्लांट शहर के भूजल को प्रदूषित कर रहा है। प्रदर्शनकारियों का आरोप है कि प्लांट का प्रदूषित पानी जमीन के अंदर डाला जा रहा है जिसके चलते प्लांट के आसपास के क्षेत्र का भूजल प्रदूषित हो रहा है। लोग इस दूषित भूजल को पीने के कारण बीमार हो रहे हैं। इसके अलावा लोगों का ये भी आरोप है कि प्रदूषण बोर्ड ने कंपनी को छोटी चिमनी के इस्तेमाल की इजाजत दे दी है जिससे कंपनी के खर्चे में तो कटौती हुई है लेकिन इसके चलते पर्यावरण पर प्रभाव पड़ रहा है।

पहले भी लिया जा चुका है एक्शन
इस प्लांट के खिलाफ तमिलनाडु प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड पहले भी कार्रवाई कर चुका है। बोर्ड अप्रैल माह में कंपनी पर लोकल प्रदूषण कानून का पालन ना करने का दोषी मानते हुए लाइसेंस भी रद्द कर चुका है। इस पूरे मुद्दे पर जून में अगली सुनवाई होनी है। वहीं कंपनी पर आरोप है कि वो कॉपर का लावा नदी में बहा रही है जिसका प्रभाव समुद्र पड़ रहा है। 

प्लांट के पक्ष में भी है तर्क
जहां एक तरफ प्लांट का विरोध खुलकर स्थानीय लोग कर रहे हैं। तो वहीं प्लांट के पक्ष में तर्क दिए जा रहे हैं। ये प्लांट भारत में कॉपर के कुल उत्पादन का करीब 35 प्रतिशत उत्पादन करता है। अगर इस प्लांट के उत्पादन क्षमता पर फर्क पड़ा तो उसका सीधा प्रभाव देश में कॉपर के कीमतों पर देखने को मिल सकता है। इसके अलावा इस पूरे क्षेत्र में हजारों लोगों की जीविका भी इस प्लांट से जुड़ी है। अगर प्लांट को बंद किया जाता है तो इस पूरे क्षेत्र के हजारों लोगों की जीविका पर इसका सीधा प्रभाव पड़ेगा।

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