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Hindi News भारत राष्ट्रीय Rajat Sharma Blog: सरहद पर बर्बरता और बातचीत दोनों एक साथ संभव नहीं

Rajat Sharma Blog: सरहद पर बर्बरता और बातचीत दोनों एक साथ संभव नहीं

पाकिस्तान के प्रधानमंत्री दुनिया को यह दिखाने की कोशिश कर रहे हैं कि वे शांति चाहते हैं, लेकिन उनकी सेना बेहद गैर-पेशेवर रवैया अपनाते हुए बर्बरता को अंजाम दे रही है।

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पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने 14 सितंबर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को चिट्ठी लिखी जिसमें उन्होंने न्यूयॉर्क में इस महीने के अंत में होनेवाले संयुक्त राष्ट्र महासभा सत्र के दौरान दोनों देशों के विदेश मंत्रियों की बैठक की मांग की है। ​अपनी चिट्ठी में इमरान खान ने कहा कि उनका देश आतंकवाद समेत अन्य तमाम लंबित मुद्दों पर बात करना चाहता है जिसमें कश्मीर का मुद्दा भी शामिल है। यह चिट्ठी 17 सितंबर को भारत सरकार को मिली। 

इसके अगले दिन 18 सितंबर को पाकिस्तानी रेंजर्स ने सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) के जवान नरेंद्र सिंह को क्रूर यातनाएं दी जिससे उनकी मौत हो गई। वे जम्मू के पास सीमा की दूसरी तरफ 'नो मैंस लैंड' में उगी लंबी घास काटने के लिए गए थे। उनका शव क्षत-विक्षत अवस्था में मिला। रिपोर्ट्स के मुताबिक उनकी आंखें निकाल ली गई थी, उनका गला रेता गया था और उनके पैर को क्षत-विक्षत कर दिया गया था। इस क्रूर यातना पर बीएसएफ के अधिकारियों ने चुप्पी साध ली और सिर्फ इतना कहा कि शरीर पर कई जगह चोट लगने और गर्दन पर बुलेट के जख्म के चलते उनकी मौत हुई। 

इस तरह के बर्बर कृत्य से पाकिस्तानी सेना ने अपनी दुष्टता और छल-कपट के जरिये भारत की पीठ में छूरा घोंप दिया। पाकिस्तान ने पीठ पीछे हमारे जवानों पर हमला किया है। भारत ने कहा है कि इस बर्बरता का माकूल जवाब दिया जाएगा। हालांकि, गुरुवार को विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने यह ऐलान किया कि दोनों देशों के बीच विदेशमंत्रियों की बैठक के प्रस्ताव को मंजूर कर लिया गया है।

दुनिया पाकिस्तान के इस दोहरे रवैये को देख रही है। पाकिस्तान के नए प्रधानमंत्री की मंशा और बॉर्डर पर उसकी सेना द्वारा दुष्टता और बर्बरता की कार्रवाई में बड़ा अंतर है। यह पाकिस्तान की कथनी और करनी के फर्क को जाहिर करता है। चिट्ठी में शान्ति का संदेश, बातचीत शुरू करने का आग्रह और सरहद पर हमारे जवान पर धोखे से वार और बर्बरता। ऐसी हालत में पाकिस्तान से कोई बात कैसे हो सकती है। 

ये साफ है कि पाकिस्तान के दांत खाने के और दिखाने के और हैं। भारत सरकार को पाकिस्तान और उसकी सेना के असली मंसूबों का अहसास होना चाहिए। पाकिस्तान के प्रधानमंत्री दुनिया को यह दिखाने की कोशिश कर रहे हैं कि वे शांति चाहते हैं, लेकिन उनकी सेना बेहद गैर-पेशेवर रवैया अपनाते हुए बर्बरता को अंजाम दे रही है। भारत को पाकिस्तान की इस नीयत को समझना चाहिए और अब ईंट का जबाव पत्थर से देना चाहिए।

पाकिस्तान शान्ति के कितने भी दावे कर ले, लेकिन पूरी दुनिया अब पाक सेना के मंसूबों की सच्चाई जान चुकी है। अमेरिका के विदेश मंत्रालय ने हाल में एक रिपोर्ट जारी की है जिसमें आतंकवादियों के खिलाफ भारत की कार्रवाई की तारीफ की गई है वहीं इसमें साफ-साफ कहा गया है कि पाकिस्तान ने आतंकवाद के खिलाफ कोई कदम नहीं उठाया है। पाकिस्तान आतंकवादियों के लिए पनाहगाह बना हुआ है। इसलिए दुनिया के सभी मुल्कों को पाकिस्तान के इस रवैये के खिलाफ आवाज उठानी चाहिए। (रजत शर्मा)

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