Hindi News भारत राष्ट्रीय पुलवामा हमला: ये है हमले का मास्टरमाइंड, मसूद अज़हर कर चुका है इसका अमेरिकी सेना के खिलाफ इस्तेमाल

पुलवामा हमला: ये है हमले का मास्टरमाइंड, मसूद अज़हर कर चुका है इसका अमेरिकी सेना के खिलाफ इस्तेमाल

ये वही आतंकी है जिसका इस्तेमाल इससे पहले मसूद अज़हर अफगानिस्तान में अमेरिकी सेना के खिलाफ भी कर चुका है। इसके साथ ही पीओके में जैश के ट्रेनिंग कैंप का चीफ इंस्ट्रक्टर भी रह चुका है। 

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नई दिल्ली: जम्मू एवं कश्मीर में 1989 में आतंकवाद के सिर उठाने के बाद से अब तक के सबसे बड़े आतंकी हमले की जिम्मेदारी जैश ने ली है और हमला किया आदिल अहमद ने लेकिन जैश और आदिल के बीच एक ऐसी कड़ी, एक ऐसा आतंकी है जो छिपकर वार करने में माहिर है और जिसके खात्मे की तैयारी में सेना जी जान से लगी है। इसे हाल के दिनों में ही जम्मू-कश्मीर में जैश का कमांडर बनाया गया था जिस पर जिम्मेदारी थी बड़ी साजिश को अंजाम देने की लेकिन जैश और आदिल अहमद डार के बीच एक और कड़ी है जिसने इस कायरना हरकत का मंसूबा तैयार किया।

ये वही है जिसने आदिल डार जैसे नौजवानों को बरगलाया, उसे स्पेशल ट्रेनिंग दी। जैश जिसे अपना सबसे बड़ा हथियार मानता है, जैश और आदिल के बीच की इस कड़ी का नाम है अब्दुल रशीद गाजी। घाटी में सेना की रणनीति और हौसलों के आगे जब जैश-ए-मोहम्मद दम तोड़ने लगा था तब संसद हमले के मास्टरमाइंड और आतंकी सगठन जैश-ए-मोहम्मद सरगना मौलाना मसूद अज़हर ने भारत को लहुलुहान करने के लिए अपने सबसे खतरनाक हथियार गाज़ी को बाहर निकाला था।

ये वही अब्दुल रशीद गाज़ी है जिसका इस्तेमाल इससे पहले मसूद अज़हर अफगानिस्तान में अमेरिकी सेना के खिलाफ भी कर चुका है। इसके साथ ही पीओके में जैश के ट्रेनिंग कैंप का चीफ इंस्ट्रक्टर भी रह चुका है। दरअसल, कश्मीर में भारतीय फौज के हाथों पहले भतीजे और फिर भांजे की मौत से मसूद तिलमिलाया हुआ है इसीलिए वो भारतीय सेना से बदला लेने के लिए कुछ बड़ा और घातक करना चाहता था।

गाज़ी को कमांडर बनाकर सरहद पार भेजने का मकसद ना सिर्फ बदला लेना था बल्कि गाज़ी को घाटी में दम तोड़ते जैश में फिर से जान फूंकने की भी जिम्मेदारी थी। अब्दुल रशीद गाज़ी का मकसद नए आतंकियों की भर्ती करना और उन्हें ट्रेनिंग देना है। अपने मंसूबों को अंजाम देने के लिए गाज़ी दिसंबर 2018 में जम्मू कश्मीर में दाखिल हुआ था, मगर ग़ाज़ी के भारत में घुसने की भनक मिलते ही भारतीय सेना ने भी अपने ऑपरेशन तेज़ कर दिये थे।

ऑपरेशन ऑल आउट में सेना ने चुन चुन कर आतंकियों का सफाया करना शुरू किया जिससे जैश-ए-मोहम्मद और गाज़ी पर जल्द किसी बड़ी वारदात को अंजाम देने का दबाव था। ये हमला पाकिस्तान के कराची में 5 फरवरी को जैश-ए-मोहम्मद की रैली के बाद हुआ जिसमें भारत को दहलाने के लिए आतंकियों की 7 टीमें रवाना की गई थीं। जैश की इस रैली में मसूद के छोटे भाई और जैश आतंकी अब्दुल रऊफ असगर ने भारत को दहलाने का ऐलान किया था। रैली में रऊफ ने कहा था कि अगले साल एक बार फिर कश्मीर सॉलिडरिटी डे मनाकर दिल्ली को दहलाना है।

सूत्रों के मुताबिक इस रैली से जैश के फिदायीनों की सात टीमें भारत के विभिन्न शहरों के लिए रवाना की गई थीं। सुरक्षा एजेंसियों ने भी इस बावत अलर्ट जारी कर आगाह किया था और गणतंत्र दिवस से पहले खुफिया एजेंसीज़ ने बड़ी कार्रवाई करते हुए कई आतंकियों को धर दबोचा था लेकिन घाटी में लोकल इनपुट की मदद की वजह से आतंकी सेना को निशाना बनाने में कामयाब हो गये।

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