Hindi News भारत राष्ट्रीय नए साल में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का पहला भाषण, 'निराशा में डूबी व्यवस्था को आशावान बनाना हमारा लक्ष्य'

नए साल में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का पहला भाषण, 'निराशा में डूबी व्यवस्था को आशावान बनाना हमारा लक्ष्य'

मैं आपलोगों के बीच काफी कुछ सीख रहा हूं। समस्या को जड़ से पकड़ें और रास्ते पकड़ें..ऊपर से नीचे थोपी हुई चीजें जीती तो रहती हैं लोकिन उसमें जान नहीं होती है।

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नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी  ने दिल्ली के अंबेडरकर इंटरनेशनल सेंटर में देश के 100 पिछड़े जिलों के प्रभारी अधिकारियों को संबोधित करते हुए कहा कि निराशा में डूबी व्यवस्था को आशावान बनाना हमारा लक्ष्य है। उन्होंने कहा कि अनुभव के आधार पर मैं कह सकता हू कि हमारे देश में अगर एक बार ठान लें तो कुछ भी असंभव नहीं है। प्रधानमंत्री ने कहा कि 14 अप्रैल बाबा अंबेडकर की जयंती तक क्यों न हम एक कार्यसीमा तय करें। तीन महीने तक 115 जिलों की मॉनिटरिंग के बाद जो जिला अपने प्रयास में अव्वल रहेगा मैं चाहूंगा कि अप्रैल महीने में उस टीम के साथ कुछ घंटे वहां बिताऊं और उनसे सीखने का प्रयास करूंगा। 

प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि यहां बड़ी से बड़ी घटनाओं के बाद भी यहां के लोग यही कहते हैं कि शायद ईश्वर की मर्जी यही रही होगी। इससे बड़ा जनसमर्थन और जनसहयोग और क्या हो सकता है। इसके बाद भी अगर हम अपना जीवन इस देश के लिए समर्पित नहीं कर पाए तो फिर हम आनेवाली पीढ़ी को जवाब नहीं दे पाएंगे। 

चुनौतियों की अपनी ताकत होती है, जिनके जीवन में चुनौतियां नहीं होती हैं वे लोग भाग्यशाली नहीं होते हैं। स्वच्छ भारत अभियान में हरकोई कुछ न कुछ कंट्रीब्यूट कर रहा है। छोटे बच्चों की भूमिका बहुत अहम है। वे स्वच्छता के दूत बन गए हैं। यह एक बड़ी ताकत है जो बदलाव ला रहा है। हम बैकवर्ड डिस्ट्रिक्ट बोलें या एसपाइरेशनल डिस्ट्रिक्ट। शब्द का बड़ा प्रभाव होता है।

निराशा के गर्त में डूबी हुई व्यवस्था को आशावान व्यवस्था में कैसे बदलें यह हमारी बड़ी जिम्मेदारी है। जनआंदोलन के जरिए भी हम सफलता प्राप्त कर सकते हैं। मीटिंग ऑफ माइंड के जरिए हम विचारों को एक जगह लाकर विकास की दौड़ में आगे बढ़ सकते हैं।

115 जिलों का विकास बाबा साहब अंबेडकर की प्रतिबद्धता और व्यवस्थित विकास का हिस्सा बनेगा। मैं समझता हूं कि यह शुभ संकेत है। अनुभव के आधार पर मैं कह सकता हू कि हमारे देश में अगर एक बार ठान लें तो कुछ भी असंभव नहीं है। बैंक राष्ट्रीयकरण होने के बाद भी 20 करोड़ लोग अछूते रह जाएं। बाद में जनधन अकाउंट जन आंदोलन बना और समय सीमा में हमने काम करके दिखाया। इसी देश में इसी व्यवस्था ने इस काम को संभव करके दिखाया। हमने ईज ऑफ डूईंग बिजनेस को सफल करके दिखाया। हमें विकसित और पिछड़े जिलों की खाई पाटनी होगी।

इसी टीम ने 18 हजार गांवों में 1000 दिनों में बिजली पहुंचाने का काम सफलता पूर्वक किया। मिट्टी जांच का काम भी सफल कर दिखाया। हम अपार क्षमता के धनी हैं..अपार संभावनाओं के युग में यहां नेतृत्व कर रहा हूं... मैं आपलोगों के बीच काफी कुछ सीख रहा हूं। समस्या को जड़ से पकड़ें और रास्ते पकड़ें..ऊपर से नीचे थोपी हुई चीजें जीती तो रहती हैं लोकिन उसमें जान नहीं होती है।

पिछड़ों जिलों में अधिकारी जाने से भी हिचकते हैं और बाद यह साइकोलॉजी बन जाती है कि चलो समय निकाल लो। इससे जिलों में विकास नहीं हो पाता है। हर जिले की समस्या एक जैसी नहीं है। भारत विभिन्नताओं का देश है इसलिए समस्याएं भी विभिन्न तरीके की हैं। 

आपको बता दें कि नीति आयोग ने 100 से ज्यादा पिछड़े जिलों की पहचान की थी। इन जिलों के लिए प्रभारी अधिकारियों की तैनाती की गई थी। इन अधिकारियों को पिछड़े जिलों को आगे लाने का जिम्मा सौंपा गया है। आज प्रधानमंत्री वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए इन अधिकारियों के साथ बात करेंगे। इस दौरान वह आनेवाले दिनों में सरकार की योजनाओं से भी अवगत कराएंगे। 

 

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