Hindi News भारत राष्ट्रीय तीन तलाक अध्यादेश के खिलाफ शीर्ष अदालत में याचिका

तीन तलाक अध्यादेश के खिलाफ शीर्ष अदालत में याचिका

1925 में गठित समस्थ केरल जमाएतुल उलेमा केरल के सुन्नी उलेमा और विद्वानों की धार्मिक संस्था है। संस्था ने अपनी याचिका में तीन तलाक अध्यादेश को संविधान के अनुच्छेद 14, 15 और 21 के खिलाफ बताया है।

तीन तलाक अध्यादेश के खिलाफ शीर्ष अदालत में याचिका- India TV Hindi तीन तलाक अध्यादेश के खिलाफ शीर्ष अदालत में याचिका

नई दिल्ली: समस्थ केरल जमाएतुल उलेमा ने मंगलवार को मुस्लिम महिला (विवाह अधिकार संरक्षण) अध्यादेश 2018 को सर्वोच्च न्यायालय में चुनौती दी। संस्था ने कहा है कि यह अध्यादेश लोगों के एक वर्ग को उनकी धार्मिक पहचान के कारण दंडात्मक प्रावधानों के तहत लाता है। इस अध्यादेश के जरिए एक बार में तीन तलाक देने की प्रथा को समाप्त कर दिया गया है और ऐसा करने वाले पुरुष के लिए जेल की सजा का प्रावधान किया गया है।

1925 में गठित समस्थ केरल जमाएतुल उलेमा केरल के सुन्नी उलेमा और विद्वानों की धार्मिक संस्था है। संस्था ने अपनी याचिका में तीन तलाक अध्यादेश को संविधान के अनुच्छेद 14, 15 और 21 के खिलाफ बताया है। संस्था ने कहा है कि इसका राष्ट्रीय पैमाने पर असर होगा, क्योंकि यह लोगों के एक वर्ग के लिए महज उनकी धार्मिक पहचान के आधार पर सजा का प्रावधान करता है।

संस्था ने कहा है कि 'अध्यादेश एक गंभीर सार्वजनिक बुराई की वजह बन सकता है और अगर इसे रोका नहीं गया तो यह समाज में ध्रुवीकरण और समरसता के क्षरण की वजह बन सकता है।'

याचिका में तीन तलाक के संदर्भ में अध्यादेश में इस्तेमाल शब्द 'लगातार जारी' (अनअबेटेड) पर आपत्ति जताई गई है। अध्यादेश में कहा गया है कि तीन तलाक को सर्वोच्च न्यायालय द्वारा असंवैधानिक ठहराए जाने के बावजूद यह प्रथा पूरी तरह से जारी है।

याचिकाकर्ता ने कहा है कि 'अनअबेटेड' शब्द का इस्तेमाल 'पूरी तरह से सनक पर आधारित है और यह गुमराह करने वाला, अमान्य और अनुचित है।'

याचिका में कहा गया है कि इससे संबंधित विधेयक राज्यसभा में लंबित है। सदन में इस पर होने वाले फैसले का इंतजार करना चाहिए, न कि आपातकालीन अध्यादेश के जरिए इसे लागू करवाना चाहिए।

Latest India News