Hindi News भारत राष्ट्रीय फारूक अब्दुल्ला ने श्रीराम को बताया पूरी दुनिया का भगवान, कहा मंदिर निर्माण के लिए खुद जाएंगे ईंट रखने

फारूक अब्दुल्ला ने श्रीराम को बताया पूरी दुनिया का भगवान, कहा मंदिर निर्माण के लिए खुद जाएंगे ईंट रखने

फारूक अब्दुल्ला बोले की भगवान राम पूरी दुनिया के भगवान हैं और अगर उन्हें इजाजत मिलती है तो वे भी मंदिर निर्माण के लिए ईंट रखने जाएंगे

Lord Rama is whole World's Lord says Farooq Abdullah in his statement on Ram Mandir- India TV Hindi Lord Rama is whole World's Lord says Farooq Abdullah in his statement on Ram Mandir

नई दिल्ली। जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री फारूक अब्दुल्ला ने कहा है कि राम मंदिर को लेकर जल्द फैसला होना चाहिए, उन्होंने कहा कि राम मंदिर को लेकर कोर्ट या फिर आपसी सहमति ही समाधान है, फारूक अब्दुल्ला बोले की भगवान राम पूरी दुनिया के भगवान हैं और अगर उन्हें इजाजत मिलती है तो वे भी मंदिर निर्माण के लिए ईंट रखने जाएंगे।

इस बीच शुक्रवार को राम जन्म भूमि-बाबरी मस्जिद भूमि विवाद में दायर अपीलों पर सुनवाई टल गई है। 10 जनवरी को सुप्रीम कोर्ट की नई बैंच इस मामले की सुनवाई करेगी। 10 तारीख को ही नई बैंच की जानकारी मिलेगी। नई बैंच तय करेगी की रोजाना सुनवाई हो कि नहीं। अभी यह मामला प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई और न्यायमूर्ति संजय किशन कौल की पीठ के समक्ष सूचीबद्ध था। इस पीठ द्वारा इलाहाबाद हाईकोर्ट के सितंबर, 2010 के फैसले के खिलाफ दायर 14 अपीलों पर सुनवाई के लिए तीन सदस्यीय न्यायाधीशों की पीठ गठित किए जाने की उम्मीद है।

हाईकोर्ट ने इस विवाद में दायर चार दीवानी वाद पर अपने फैसले में 2.77 एकड़ भूमि का सुन्नी वक्फ बोर्ड, निर्मोही अखाड़ा और राम लला के बीच समान रूप से बंटवारा करने का आदेश दिया था। शीर्ष अदालत ने पिछले साल 29 अक्टूबर को कहा था कि यह मामला जनवरी के प्रथम सप्ताह में उचित पीठ के समक्ष सूचीबद्ध होगा जो इसकी सुनवाई का कार्यक्रम निर्धारित करेगी।

बाद में अखिल भारत हिन्दू महासभा ने एक अर्जी दायर कर सुनवाई की तारीख पहले करने का अनुरोध किया था परंतु न्यायालय ने ऐसा करने से इंकार कर दिया था। न्यायालय ने कहा था कि 29 अक्टूबर को ही इस मामले की सुनवाई के बारे में आदेश पारित किया जा चुका है। हिन्दू महासभा इस मामले में मूल वादकारियों में से एक एम सिद्दीक के वारिसों द्वारा दायर अपील में एक प्रतिवादी है।

इससे पहले, 27 सितंबर, 2018 को तत्कालीन प्रधान न्यायाधीश दीपक मिश्रा की अध्यक्षता वाली तीन सदस्यीय पीठ ने 2:1 के बहुमत से 1994 के एक फैसले में की गई टिप्पणी पांच न्यायाधीशों की पीठ के पास नए सिरे से विचार के लिए भेजने से इंकार कर दिया था। इस फैसले में टिप्पणी की गई थी कि मस्जिद इस्लाम का अभिन्न अंग नहीं है।

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