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Hindi News भारत राष्ट्रीय प्रधान न्यायाधीश के लिए न्यायमूर्ति रंजन गोगोई के नाम की सिफारिश

प्रधान न्यायाधीश के लिए न्यायमूर्ति रंजन गोगोई के नाम की सिफारिश

सर्वोच्च न्यायालय के प्रधान न्यायाधीश दीपक मिश्रा ने वरिष्ठता के सिद्धांत का अनुपालन करते हुए अपने उत्तराधिकारी के तौर पर न्यायमूर्ति रंजन गोगोई के नाम की सिफारिश की है।

Justice Ranjan Gogoi- India TV Hindi Image Source : PTI Justice Ranjan Gogoi

नई दिल्ली: सर्वोच्च न्यायालय के प्रधान न्यायाधीश दीपक मिश्रा ने वरिष्ठता के सिद्धांत का अनुपालन करते हुए अपने उत्तराधिकारी के तौर पर न्यायमूर्ति रंजन गोगोई के नाम की सिफारिश की है। न्यायमूर्ति गोगई प्रधान न्यायाधीश मिश्रा के बाद शीर्ष अदालत में वरिष्ठतम न्यायाधीश हैं। परंपरा के अनुसार, प्रधान न्यायाधीश अपनी सेवानिवृत्ति से 30 दिन पहले अपने उत्तराधिकारी के नाम की सिफारिश करते हैं ताकि अगले प्रधान न्यायाधीश के नाम की घोषणा समय पर हो पाए।

केंद्र सरकार की ओर से अगर इस सिफारिश पर मंजूरी प्रदान की जाती है तो न्यायमूर्ति गोगोई को राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद तीन अक्टूबर को प्रधान न्यायाधीश पद की शपथ दिलाएंगे। प्रधान न्यायाधीश दीपक मिश्रा दो अक्टूबर को सेवानिवृत हो रहे हैं, लेकिन उस दिन महात्मा गांधी की जयंती पर राष्ट्रीय अवकाश है। इसलिए उनका अंतिम कार्य दिवस एक अक्टूबर ही होगा। केंद्रीय कानून मंत्री ने पिछले सप्ताह पत्र लिखकर प्रधान न्यायाधीश से उनके उत्तराधिकारी के नाम की सिफारिश करने का आग्रह किया था।

न्यायमूर्ति गोगोई सर्वोच्च न्यायालय के उन चार न्यायाधीशों में शामिल हैं जिन्होंने शीर्ष अदालत के प्रशासन की चिंताओं को लेकर इसी साल जनवरी में अभूतपूर्व प्रेसवार्ता की थी और प्रशासन के बारे में कहा था कि 'यह दुरुस्त नहीं है।' प्रेसवार्ता करने वाले अन्य तीन न्यायाधीशों में न्यायमूर्ति जे. चेलमेश्वर (सेवानिवृत्त), न्यायमूर्ति एम. बी. लोकुर और न्यायमूर्ति कुरियन जोसेफ शामिल थे। न्यायमूर्ति गोगोई असम के हैं और वह असम में नागरिकों की पहचान करने के लिए तैयार की गई राष्ट्रीय नागरिक पंजी की निगरानी करने वाली विशेष पीठ की अध्यक्षता कर रहे हैं।

न्यायमूर्ति गोगोई का जन्म 1954 में हुआ था और उन्होंने 1978 में वकालत शुरू की। 28 फरवरी 2001 में उनको गुवाहाटी उच्च न्यायालय का स्थाई न्यायाधीश नियुक्त किया गया था। सितंबर 2010 में उनका तबादला पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय में हुआ। वह 2011 में पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश बने। उनको प्रोन्नति प्रदान कर अप्रैल 2012 में सर्वोच्च न्यायालय का न्यायाधीश बनाया गया।

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