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JNU में लगे थे देश-विरोधी नारे, हाईलेवल कमेटी की रिपोर्ट आई, कन्हैया और उमर खालिद की सजा बरकरार

देश के प्रतिष्ठित जवाहरलाल नेहरू यूनिवर्सिटी(JNU) में देश-विरोधी नारे लगाए जाने की पुष्टि हो गई है। आज हाईकोर्ट की तरफ से गठित की गई जांच कमेटी ने साफ-साफ कह दिया कि दो साल पहले कन्हैया कुमार...उमर खालिद और उसके साथियों ने JNU कैंपस में देश विरोधी नारे लगाए थे।

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नई दिल्ली: देश के प्रतिष्ठित जवाहरलाल नेहरू यूनिवर्सिटी(JNU) में देश-विरोधी नारे लगाए जाने की पुष्टि हो गई है। आज हाईकोर्ट की तरफ से गठित की गई जांच कमेटी ने साफ-साफ कह दिया कि दो साल पहले कन्हैया कुमार...उमर खालिद और उसके साथियों ने JNU कैंपस में देश विरोधी नारे लगाए थे। कन्हैया कुमार और उसके साथियों ने JNU में भारत तेरे टुकड़ें होंगे...ईंशा अल्लाह ईंश अल्लाह....और भारत की बर्बाद तक जंग हमारी जारी है...जैसे देश विरोधी नारे लगाए थे। 

JNU की उच्चस्तरी जांच कमेटी ने जांच के बाद उमर खालिद और कन्हैया कुमार की सजा को बरकरार रखा है। जांच कमेटी ने कहा है कि उस वक्त उमर खालिद के यूनिवर्सिटी के रस्टिकेशन और कन्हैया कुमार को 10 हजार रुपए के जुर्माने की सजा सही थी इसलिए उसे बरकरार रखा जाए। जांच कमेटी ने कहा कि इसमें किसी तरह का कोई बदलाव नहीं किया जाना चाहिए।

आपको बता दें कि JNU के ही एक पैनल ने साल 2016 में देशविरोधी नारे के मामले में कन्हैया कुमार और उमर खालिद के अलावा कुछ और स्टूडेंट्स पर अनुशासनात्मक कार्रवाई की थी। उमर खालिद के साथ दो और स्टूडेंट्स को रस्टिकेट करने की सिफारिश की गई थी जबकि कन्हैया कुमार पर दस हजार रुपए का जुर्माना लगाया गया था। 

आपको याद होगा 9 फरवरी 2016 को JNU कैंपस में अफजल गुरु की फांसी के खिलाफ एक इवेंट ऑर्गनाइज किया था। इसी दौरान देश-विरोधी नारे लगाए गए थे। इसी मामले में दिल्ली पुलिस ने तब JNU छात्र संघ के अध्यक्ष कन्हैया कुमार समेत दूसरे लोगों पर मुकदमा दर्ज किया था। कन्हैया कुमार..उमर खालिद और अनिरबान को गिरफ्तार भी किया गया था, हालांकि बाद में हाईकोर्ट से उन्हें बेल मिल गई थी। लेकिन इसी मामले में JNU के एक पैनल ने आंतरिक जांच की थी जिसमें कन्हैया और उमर खालिद समेत दूसरे लोगों को दोषी मानते हुए उनपर कार्रवाई की गई थी। इसके खिलाफ कन्हैया कुमार और उसके साथियों ने हाईकोर्ट में अपील की थी। इसी अपील पर दिल्ली हाईकोर्ट ने JNU को निर्देश दिया था कि इस मामले को अपीलेट अथॉरिटी के सामने रखा जाए और वो इसकी जांच करें। आज इसी उच्चस्तरीय कमेटी ने कन्हैया कुमार और उमर खालिद की सजा को बरकरार रखा है।

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