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Hindi News भारत राष्ट्रीय 77 दिन बाद मिली कुर्सी, 48 घंटे में ही छुट्टी; आलोक वर्मा को हटाए जाने की इनसाइड स्टोरी

77 दिन बाद मिली कुर्सी, 48 घंटे में ही छुट्टी; आलोक वर्मा को हटाए जाने की इनसाइड स्टोरी

कार्यकाल ख़त्म होने के 21 दिन पहले आलोक वर्मा को सीबीआई डायरेक्टर के पद से हटाकर सिविल डिफेंस, फायर सर्विसेस और होम गार्ड विभाग का महानिदेशक बना दिया गया है जबकि नागेश्वर राव दोबारा सीबीआई के अंतरिम निदेशक बना दिए गए हैं।

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नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता वाली देश की सबसे पावरफुल कमेटी ने आलोक वर्मा को सीबीआई निदेशक के पद से हटा दिया तो अब इस पर सियासत शुरू हो गई है। फैसले का विरोध करते हुए कांग्रेस ने सवाल उठाए हैं कि आखिर पीएम मोदी आलोक वर्मा को हटाने की जल्दी में क्यों थे? आलोक वर्मा को लेकर फैसले में तेजी पर शंका जाहिर करते हुए आनंद शर्मा ने कहा कि क्या कुछ ऐसा है जिसे सरकार छिपाना चाहती है? खुद कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने भी इस मामले को राफेल से जोड़कर सीधे सीधे प्रधानमंत्री मोदी पर हमला बोल दिया।

राहुल गांधी ने ट्वीट कर कहा, ‘’पीएम मोदी के दिमाग में डर बैठ चुका है। वो सो भी नहीं सकते हैं। उन्होंने भारतीय वायुसेना के 30 हजार करोड़ रुपए चुराकर अनिल अंबानी को दे दिए। सीबीआई चीफ को दो बार पद से हटाए जाने से साफ है कि वो खुद अपने ही झूठ के जाल में फंस गए हैं। सत्यमेव जयते।‘’

फिलहाल कार्यकाल ख़त्म होने के 21 दिन पहले आलोक वर्मा को सीबीआई डायरेक्टर के पद से हटाकर सिविल डिफेंस, फायर सर्विसेस और होम गार्ड विभाग का महानिदेशक बना दिया गया है जबकि नागेश्वर राव दोबारा सीबीआई के अंतरिम निदेशक बना दिए गए हैं। गौरतलब है कि आलोक वर्मा को सीबीआई डायरेक्टर के पद से हटाने का फैसला सेलेक्ट कमेटी में सर्व सम्मति से नहीं हो सका बल्कि 2-1 के फैसले से आलोक वर्मा की सीबीआई चीफ के पद से छुट्टी कर दी गई।

सीबीआई के 55 साल के इतिहास में यह ऐसा पहला मौका रहा जब सीबीआई के डायरेक्टर को हटाने के लिए उस सेलेक्ट कमेटी को एक्शन लेना पड़ा जो सीबीआई डायरेक्टर को नियुक्त करती है। इस सेलेक्ट कमेटी में पीएम मोदी के अलावा सुप्रीम कोर्ट के जज जस्टिस अर्जुन सीकरी और कांग्रेस नेता मल्लिकार्जुन खड़गे शामिल थे। 7 लोक कल्याण मार्ग पर प्रधानमंत्री के घर क़रीब सवा 2 घंटे तक बैठक चली जिसमें आलोक वर्मा को लेकर सीवीसी की उस रिपोर्ट पर विचार किया गया, जिसमें उन पर गंभीर आरोप हैं।

फैसला हुआ कि आलोक वर्मा का डायरेक्टर पद पर रहना सीबीआई की छवि के लिए ठीक नहीं होगा। खास बात ये कि जैसी उम्मीद थी वैसा ही हुआ। मीटिंग के दौरान हमेशा की तरह कांग्रेस नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने आलोक वर्मा को हटाने का विरोध किया और दलील दी कि उन्हें सीवीसी रिपोर्ट पर जवाब देने का मौका मिले लेकिन पीएम मोदी और जस्टिस सीकरी का मत था कि आलोक वर्मा का डायरेक्टर पद पर बने रहना सीबीआई के हित में नहीं होगा। ऐसे में 2:1 से फैसला आलोक वर्मा के खिलाफ में गया।

प्रधानमंत्री की अगुवाई वाली सेलेक्ट कमेटी ने सीवीसी की जिस रिपोर्ट को आधार बनाकर आलोक वर्मा को सीबीआई डायरेक्टर पद से हटाया उस 8 पेज की रिपोर्ट में आलोक वर्मा पर ना सिर्फ गंभीर आरोप हैं बल्कि साफ लिखा है कि उनके खिलाफ जो शिकायतें मिली हैं और जो सबूत दिए गए हैं उनकी जांच जरूरी है और यही वजह है कि आलोक वर्मा का सीबीआई डायरेक्टर पद पर रहना ठीक नहीं होगा।

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