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Hindi News भारत राष्ट्रीय हैदराबाद: हिन्दू देवताओं के अपमान के विरोध में 40 किमी की पदयात्रा करने से पहले ही स्वामी परिपूर्णानंद नजरबंद

हैदराबाद: हिन्दू देवताओं के अपमान के विरोध में 40 किमी की पदयात्रा करने से पहले ही स्वामी परिपूर्णानंद नजरबंद

काकीनाड़ा श्री पीठम के प्रमुख स्वामी परिपूर्णानंद को ‘ हिन्दू विरोधी ’ बयान देने वाले लोगों के खिलाफ एक मार्च की अगुवाई करनी थी , लेकिन पुलिस ने उनके यात्रा निकालने के लिए घर से बाहर निकलने पर ही रोक लगा दी।

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हैदराबाद: तेलंगाना के हैदराबाद में एक आध्यात्मिक नेता को उनकी प्रस्तावित 40 किलोमीटर लंबी पदयात्रा से पहले आज नजरबंद कर दिया गया। यह यात्रा बोडुप्पल से यदादरी तक जानी थी। पुलिस ने बताया कि काकीनाड़ा श्री पीठम के प्रमुख स्वामी परिपूर्णानंद को ‘ हिन्दू विरोधी ’ बयान देने वाले लोगों के खिलाफ एक मार्च की अगुवाई करनी थी , लेकिन पुलिस ने उनके यात्रा निकालने के लिए घर से बाहर निकलने पर ही रोक लगा दी। इस यात्रा के लिए पुलिस ने इजाजत नहीं दी थी। पुलिस ने बताया कि इसके बाद स्वामी के समर्थक और विभिन्न हिन्दू संगठनों के सदस्य उनके घर के पास इकट्ठा हो गए। 

उन्होंने बताया कि परिपूर्णानंद ने हाल में हिन्दू देवताओं के खिलाफ कथित टिप्पणी करने के लिए तेलुगू अभिनेता और फिल्म आलोचक काथी महेश की गिरफ्तारी की मांग की थी और कहा था कि अभिनेता ने हिंदुओं की भावनाओं को आहत किया है। पुलिस ने बताया कि राज्य के किसी भी हिस्से में अभिनेता के बयान के खिलाफ प्रदर्शन करने की इजाजत नहीं दी गई है। अतिरिक्त पुलिस आयुक्त एम वेंकटेश्वरलु ने कहा , ‘‘ परिपूर्णानंद को सिर्फ नजरबंद किया गया है। ’’ उन्होंने बताया कि मुद्दे पर प्रदर्शन करने की कोशिश करने पर विभिन्न संगठनों के 20 सदस्यों को एहतियाती तौर पर हिरासत में लिया गया है। 

परिपूर्णानंद को सोशल मीडिया और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया पर कथित रूप से हिन्दू देवताओं के खिलाफ हालिया बयानों और अभियानों के खिलाफ पदयात्रा निकालनी थीं। उन्होंने सरकार से किसी भी धर्म के देवता की निंदा करने और अपमानित करने वाले तत्वों को कड़ी सजा देने वाला कानून तुरंत बनाने की मांग की थी। नजरबंदी की निंदा करते हुए भाजपा प्रदेश अध्यक्ष के लक्ष्मण ने एक विज्ञप्ति में कहा कि प्रदर्शन करना और पदयात्रा निकालना संवैधानिक अधिकार है। उन्होंने कहा , ‘‘ राज्य सरकार द्वारा हिन्दू विरोधी टिप्पणी पर कथित रूप से कड़ा रूख नहीं अपनाने की वजह से धार्मिक नेताओं को सड़कों पर आना पड़ा। ’’

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