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Hindi News भारत राष्ट्रीय विधायक हत्याकांड में बाहुबली प्रभुनाथ सिंह को नहीं मिली जमानत, 19 फरवरी को होगी अंतिम सुनवाई

विधायक हत्याकांड में बाहुबली प्रभुनाथ सिंह को नहीं मिली जमानत, 19 फरवरी को होगी अंतिम सुनवाई

झारखंड उच्च न्यायालय ने राजद के तत्कालीन विधायक अशोक सिंह की हत्या के आरोप में जेल में बंद पूर्व सांसद प्रभुनाथ सिंह और उनके भाइयों की अपील पर अंतिम सुनवाई की तिथि 19 फरवरी निर्धारित की है।

<p>झारखंड उच्च न्यायालय...- India TV Hindi झारखंड उच्च न्यायालय ने राजद के तत्कालीन विधायक अशोक सिंह की हत्या के आरोप में जेल में बंद पूर्व सांसद प्रभुनाथ सिंह और उनके भाइयों की अपील पर अंतिम सुनवाई की तिथि 19 फरवरी निर्धारित की है।

रांची: झारखंड उच्च न्यायालय ने राजद के तत्कालीन विधायक अशोक सिंह की हत्या के आरोप में जेल में बंद पूर्व सांसद प्रभुनाथ सिंह और उनके भाइयों की अपील पर अंतिम सुनवाई की तिथि 19 फरवरी निर्धारित की है। पूर्व सांसद प्रभुनाथ सिंह और उनके भाइयों की इस मामले में अपील याचिका पर उच्च न्यायालय में मंगलवार को आंशिक सुनवाई हुई।

मुख्य न्यायाधीश अनिरुद्ध बोस और न्यायमूर्ति रत्नाकर भेंगरा की पीठ ने सुनवाई के बाद मामले में अंतिम सुनवाई के लिए 19 फरवरी की तिथि निर्धारित की। विधायक अशोक सिंह हत्याकांड मामले में हजारीबाग की जिला एवं सत्र अदालत ने प्रभुनाथ सिंह, दीनानाथ सिंह और रितेश सिंह को उम्रकैद की सजा सुनाई थी। सजा को चुनौती देते हुए प्रभुनाथ सिंह की ओर से उच्च न्यायालय में अपील याचिका दाखिल की गई है, जिसमें सजा को निलंबित करते हुए जमानत की गुहार भी लगाई गई थी। 

सुनवाई के दौरान वरीय अधिवक्ता सुरेंद्र सिंह ने प्रभुनाथ सिंह को जमानत देने के लिए दलील पेश की। इस दौरान अदालत ने वादी से पूछा कि आप जमानत याचिका पर सुनवाई के लिए तैयार हैं या फिर अपील याचिका पर सुनवाई चाहते हैं? वादी की ओर से अपील याचिका पर बहस के लिए तैयार होने की बात कही गई, जिसके बाद न्यायालय ने इस मामले में अंतिम सुनवाई लिए 19 फरवरी की तिथि निर्धारित कर दी। 

तीन जुलाई 1995 को राजद के तत्कालीन विधायक अशोक सिंह की हत्या पटना में उनके सरकारी आवास में बम मारकर दी गई थी। उस समय वह मशरख विधानसभा क्षेत्र से राजद के विधायक थे। प्रभुनाथ सिंह को हराकर ही अशोक सिंह विधायक बने थे। हत्या के इस मामले में प्रभुनाथ सिंह को मुख्य आरोपी बनाया गया था। इस मामले में करीब 23 साल बाद हजारीबाग की अदालत ने प्रभुनाथ सिंह, दीनानाथ सिंह और रितेश सिंह को उम्रकैद की सजा सुनाई थी।

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