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Hindi News भारत राष्ट्रीय उत्तराखंड: इस साल चार धाम की यात्रा पर आए श्रद्धालुओं ने तोड़ा 7 साल का रिकॉर्ड, जानें पूरे आंकड़े

उत्तराखंड: इस साल चार धाम की यात्रा पर आए श्रद्धालुओं ने तोड़ा 7 साल का रिकॉर्ड, जानें पूरे आंकड़े

उत्तराखंड के उच्च हिमालयी क्षेत्र में 5 साल पहले आई प्राकृतिक आपदा के चलते बुरी तरह प्रभावित हुई विश्व प्रसिद्ध चारधाम यात्रा की पुरानी रंगत फिर लौट आई है।

Char Dham Yatra witnesses record footfall in 2018 | PTI File- India TV Hindi Char Dham Yatra witnesses record footfall in 2018 | PTI File

देहरादून: उत्तराखंड के उच्च हिमालयी क्षेत्र में 5 साल पहले आई प्राकृतिक आपदा के चलते बुरी तरह प्रभावित हुई विश्व प्रसिद्ध चारधाम यात्रा की पुरानी रंगत फिर लौट आई है। इस साल इस पुण्य पावन प्रभु धाम के दर्शन के लिए पहुंचे श्रद्धालुओं की संख्या ने पिछले 7 वर्ष का रिकॉर्ड तोड़ दिया है। आगामी 20 नवंबर को भगवान बदरीनाथ के कपाट बंद होने के साथ ही इस वर्ष की चारधाम यात्रा का समापन हो जाएगा। आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, इस वर्ष केदारनाथ, गंगोत्री तथा यमुनोत्री सहित चारों धाम में अब तक 26.13 लाख तीर्थयात्री दर्शन के लिए आ चुके हैं। आपदा से एक साल पहले 2012 में 25.07 लाख श्रद्धालुओं ने चारधाम यात्रा की थी।

रोचक तथ्य यह है कि वर्ष 2013 के मध्य जून में आई प्रलयंकारी बाढ में सर्वाधिक प्रभावित केदारनाथ धाम में तो इस बार श्रद्धालुओं की रिकार्ड तोड आमद दर्ज की गयी। उत्तराखंड पुलिस द्वारा उपलब्ध कराए गए आंकड़ों के अनुसार, इस वर्ष की यात्रा के दौरान पिछले 7 वर्षों का रिकॉर्ड तोड़ते हुए 9 नवंबर को कपाट बंद होने तक 7.32 लाख श्रद्धालुओं ने बाबा केदारनाथ के दर्शन किए जो पिछले वर्ष के मुकाबले भी 2.61 लाख अधिक हैं। वर्ष 2013 की त्रासदी के बाद श्रद्धालुओं की संख्या में भारी कमी दर्ज की गई थी और इस दिशा में किए गए प्रयासों के जरिए पिछले वर्षों में बढ़ते-बढ़ते यह संख्या 4 लाख का आंकड़ा पार कर गई।

आपदा से एक साल पहले 2012 में 5.73 लाख तीर्थयात्री यहां आए थे लेकिन 2013 में यहां 3.33 लाख श्रद्धालु आए। अगले वर्ष 2014 में श्रद्धालुओं की संख्या घटकर 40598 रह गई जबकि 2015 में 1.54 लाख तीर्थयात्री बाबा केदारनाथ दर्शन के लिए आए। वर्ष 2016 में 3.09 लाख श्रद्धालु और वर्ष 2017 में 4.71 लाख श्रद्धालु बाबा केदारनाथ के धाम पहुंचे। भगवान विष्णु को समर्पित बदरीनाथ धाम में 15 नवंबर तक 10.38 लाख श्रद्धालु अपनी आमद दर्ज करा चुके थे। वर्ष 2012 में आपदा आने से पहले बदरीनाथ जाने वाले तीर्थयात्रियों की संख्या 10.46 लाख थी जो 2013 में आपदा के चलते गिरकर 4.97 लाख और 2014 में 1.52 लाख रह गई। 2015 में यह 3.66 लाख पहुंची जबकि 2016 और 2017 में यह संख्या बढकर क्रमश: 6.54 लाख और 9.20 लाख हो गई।

उत्तरकाशी जिले में स्थित मां गंगा के धाम गंगोत्री और मां यमुना के मंदिर यमुनोत्री जाने वाले श्रद्धालुओं की संख्या में भी यही रूझान दर्ज किया गया। आपदा से पहले 2012 में जहां गंगोत्री और यमुनोत्री प्रत्येक धाम को जाने वाले श्रद्धालुओं की संख्या 4.43 लाख दर्ज की गई वहीं आपदा वर्ष 2013 में यह संख्या घटकर क्रमश: 2.06 लाख और 2.38 लाख रही। वर्ष 2014 में केवल 58847 श्रद्धालुओं ने गंगोत्री की तथा 38221 श्रद्धालुओं ने यमुनोत्री की यात्रा की लेकिन धीरे-धीरे बढते हुए यह आंकडा इस साल क्रमश: 4.47 लाख और 3.94 लाख तक पहुंच गया।

भाजपा के प्रदेश प्रवक्ता डा देवेंद्र भसीन श्रद्धालुओं की संख्या में वृद्धि का श्रेय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के प्रयासों को देते हुए कहते हैं, 'प्रधानमंत्री बनने के बाद से चारधाम और विशेष रूप से केदारनाथ मोदी जी के लिए चुनिंदा प्राथमिकताओं में से एक रहा है और उन्होंने अपनी यह प्रतिबद्धता बार-बार यहां आकर सिद्ध भी की है।' लेकिन दूसरी तरफ अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के महासचिव और पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत का मानना है कि श्रद्धालुओं की संख्या में बढोत्तरी उनकी सरकार के कार्यकाल में हुए बढ़िया कामों का ही नतीजा है जबकि भाजपा सरकार केदारनाथ में आधारभूत संरचनाओं के विकास में भी पूरी तरह से विफल रही है।

रावत ने कहा कि आपदा की याद मिटाने के लिए उनकी सरकार ने मुंबई, हैदराबाद, चंडीगढ़ सहित कई जगह जाकर चारधाम यात्रा के सुरक्षित और सुगम होने का संदेश दिया जिसकी वजह से श्रद्धालुओं का विश्वास फिर लौटा। प्रदेश के गढ़वाल हिमालय में हर साल लगभग 6 माह चलने वाली इस चारधाम यात्रा को क्षेत्र की आर्थिकी की रीढ़ माना जाता है और इसकी रौनक लौट आने से इस यात्रा से जुडे़ रोजगार के अवसर भी एक तरह से पुनर्जीवित हो गए हैं। टैक्सी चलाने वाले, यात्रा मार्ग पर स्थित होटल, रेस्टोरेंट, ढाबे, प्रसाद बनाने और बेचने वाले, घोडे़-खच्चर वाले सभी के व्यवसाय ने फिर रफ्तार पकड़ ली है।

सर्दियों में भीषण ठंड और भारी बर्फबारी की चपेट में रहने के कारण चारों धामों के कपाट अक्टूबर-नवंबर में श्रद्धालुओं के लिये बंद कर दिए जाते हैं जो अगले साल अप्रैल-मई में दोबारा खोल दिए जाते हैं।

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