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Hindi News भारत राष्ट्रीय राहुल गांधी का वादा, अरुण जेटली का वार और पी चिदंबरम का पलटवार, दिनभर चला चुनावी दांव पेंच का खेल

राहुल गांधी का वादा, अरुण जेटली का वार और पी चिदंबरम का पलटवार, दिनभर चला चुनावी दांव पेंच का खेल

गरीबों को वार्षिक 72 हजार रुपये देने के कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी के चुनावी वादे को लेकर वित्त मंत्री अरुण जेटली के हमले पर पलटवार करते हुए कांग्रेस ने सोमवार को कहा कि जेटली यह स्पष्ट करें कि क्या वह इस प्रस्तावित योजना का समर्थन करते हैं या विरोध करते हैं।

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नई दिल्ली: गरीबों को वार्षिक 72 हजार रुपये देने के कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी के चुनावी वादे को लेकर वित्त मंत्री अरुण जेटली के हमले पर पलटवार करते हुए कांग्रेस ने सोमवार को कहा कि जेटली यह स्पष्ट करें कि क्या वह इस प्रस्तावित योजना का समर्थन करते हैं या विरोध करते हैं। पार्टी के मुख्य प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने यह आरोप भी लगाया कि पूंजीपतियों के तीन लाख करोड़ रुपये से अधिक माफ करने वाली मोदी सरकार को राहुल गांधी की इस घोषणा से पेट मे दर्द हो रहा है।

कांग्रेस के वरिष्ठ नेता पी चिदंबरम ने ट्वीट कर कहा, ''प्रिय वित्त मंत्री जी, हमने देश के पांच करोड़ सबसे गरीब परिवारों के लिए "न्याय" की घोषणा की। आप इसका समर्थन करते हैं या विरोध?'' उन्होंने कहा, ''उम्मीद है आप सीधा जवाब देंगे।'' वहीं, सुरजेवाला ने कहा, ''मोदी जी-जेटली जी की जोड़ी ने हंसते-हंसते मुट्ठी भर पूंजीपतियों के 3,17,000 करोड़ रुपये तो माफ़ कर दिए, पर देश के सबसे ग़रीब 5 करोड़ परिवारों को ग़रीबी से उभारने की न्याय योजना लागू करने के कांग्रेस के संकल्प पर उनके पेट में दर्द हो रहा है। शर्मनाक और दुर्भाग्यपूर्ण हैं।''

दरअसल, कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने लोकसभा चुनाव से पहले सोमवार को बड़ा ऐलान करते हुए कहा कि उनकी पार्टी की सरकार बनने पर देश के सबसे अधिक गरीब 5 करोड़ परिवार को न्यूनतम आय गारंटी के तहत सालाना 72,000 रुपये देगी। गांधी की इस घोषणा को भाजपा के वरिष्ठ नेता अरुण जेटली ने झांसा देने वाली घोषणा बताया। उन्होंने कहा कि कांग्रेस पार्टी जो वादा कर रही है, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पहले से उससे ज्यादा गरीबों को दे रहे हैं। 

जेटली ने ट्विटर पर लिखा है, ‘‘सामान्य गणित पर कांग्रेस पार्टी की घोषणा को आंका जाए तो 72,000 रुपये मोदी सरकार में प्रत्यक्ष लाभ अंतरण (डीबीटी) के जरिए गरीबों को विभिन्न सब्सिडी मद्द में दिए जा रहे औसतन सालाना 1.068 लाख रुपये से कहीं कम है। अत: कांग्रेस पार्टी जो भी वादा कर रही है, वह सिर्फ झांसा देने वाली घोषणा है।’’ उन्होंने कहा कि पिछले पांच साल में प्रधानमंत्री ने बैंकों के जरिए सीधे गरीब परिवारों के खातों में सब्सिडी की राशि डालने के लिए प्रत्यक्ष लाभ अंतरण योजना शुरू की। खाद्य, उर्वरक, केरोसिन के अलावा 55 मंत्रालय डीबीटी के जरिए गरीबों को सब्सिडी दे रहे हैं।

वित्त मंत्री ने एक अन्य ट्वीट में कहा, ‘‘आज ज्यादातर औद्योगिक कर्मचारियों को 12,000 रुपये मासिक से अधिक मिल रहा है। सातवें वेतन आयोग के बाद सरकारी नौकरी में शुरुआती वेतन 18,000 रुपये मासिक है। भूमिहीन किसानों को मनरेगा के तहत भुगतान किया जा रहा है। श्रमिकों का न्यूनतम वेतन करीब 42 प्रतिशत बढ़ाया गया है।’’ जेटली ने ट्विटर पर लिखा कि नेहरू मॉडल से आर्थिक वृद्धि धीमी हुई। इंदिरा गांधी ने 1971 में गरीबी हटाओ का नारा दिया। इससे गरीबी घटने के बजाय बढ़ी। उन्होंने लिखा, ‘‘देश में विरासत में मिली गरीबी कांग्रेस पार्टी के अक्षम शासन को प्रतिबिंबित करती है।’’

जेटली ने प्रेस कॉन्फ्रेंस करके भी कांग्रेस पर हमला किया। उन्होंने कहा कि कांग्रेस ने हमेशा योजनाओं के नाम पर सिर्फ छल-कपट किया है। उन्होंने आरोप लगाया कि कांग्रेस का इतिहास गरीबी हटाने के नाम पर सिर्फ राजनीतिक व्यवसाय करने का रहा है। कांग्रेस ने गरीबी हटाने के लिए कभी संसाधन भी नहीं दिए।

उन्होंने कहा कि '1971 में इंदिरा गांधी ने 'गरीबी हटाओ' के नारे पर चुनाव जीता था, लेकिन उन्होंने गरीबी हटाने के लिए जरूरी काम नहीं किए। वो चुनाव तो गरीबी हटाओ के नाम पर जीती थीं लेकिन उनके कार्यकाल में गरीबी ही बांटी गई थी। उन्होंने नीचे वाले को ऊपर उठाने के लिए कोई काम नहीं किया। गरीबी के डिस्ट्रिब्यूशन की उनकी नीति रही थी।' जेटली ने कहा कि '2004 से 2014 तक UPA के 10 साल के कार्यकाल में भी छल-कपट और धोखा होता था।'

जेटली ने कहा कि '2008 की जिस रिण माफी योजना का कांग्रेस जिक्र करती है उसके तहत उन्होंने 70,000 करोड़ का एक ही बार के लिए रिण माफ करने की बात कही थी, जिसमें से सिर्फ 52,000 करोड़ रिण माफ किया गया और CAG की रिपोर्ट के मुताबिक उसका ज्यादातर हिस्सा दिल्ली के व्यापारियों को दिया गया।' उन्होंने कहा कि 'सिर्फ PM KISAN योजना के तहत हम तो हर साल 75,000 करोड़ रुपये दे रहे हैं।'

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