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मिजोरम: आरोपों के बाद चुनाव आयोग ने मुख्य चुनाव अधिकारी को पद से हटाया

अपनी तरह के पहले मामले में चुनाव आयोग ने किसी राज्य से अपने मुख्य निर्वाचन अधिकारी को पद से हटा दिया है। यह घटनाक्रम मिजोरम में सामने आया है।

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अपनी तरह के पहले मामले में चुनाव आयोग ने किसी राज्‍य से अपने मुख्‍य निर्वाचन अधिकारी को पद से हटा दिया है। यह घटनाक्रम मिजोरम में सामने आया है। यहां आगामी विधानसभा चुनाव से पहले कई राजनीतिक दलों ने मुख्य निर्वाचन अधिकारी (सीईओ) एस बी शशांक पर मिजोरम विरोधी होने और राज्य में दशकों तक शांतिपूर्ण चुनाव कराने के रिकॉर्ड को बिगाड़ने का आरोप लगाया है। इस बीच, चुनाव आयोग ने शशांक की जगह किसी अन्य अधिकारी की तैनाती के अपने फैसले की घोषणा की।ऐसा पहली बार हुआ है कि राजनीतिक दलों ने सीईओ की खुलकर आलोचना की है। उन पर मिजोरम में 28 नवंबर को होने वाले विधानसभा चुनाव में मतदान करने के लिए त्रिपुरा के राहत शिविरों में रह रहे ब्रू समुदाय के मतदाताओं को कथित तौर पर गलत ढंग से सुविधा प्रदान करने की कोशिश करने का आरोप लगाया गया है। 

भारत निर्वाचन आयोग (ईसीआई) ने शनिवार को यहां नागरिक समाज समूहों द्वारा भारी विरोध को देखते हुए शशांक की जगह किसी अन्य अधिकारी की तैनाती के अपने फैसले की घोषणा की। राज्य में भारी संख्या में लोग उनकी कथित ब्रू समर्थक छवि को लेकर उन्हें पद से हटाने की मांग कर रहे थे। प्रमुख नागरिक समाज समूहों और छात्र संगठनों के एक संयुक्त संगठन ‘द ऑल एनजीओ (समन्वय समिति)’ मांग कर रही है कि वे ब्रू लोग, जो 1997 में नस्लीय संघर्ष के बाद मिजोरम से भाग गए थे और त्रिपुरा में राहत शिविरों में रह रहे हैं, उन्हें केवल मिजोरम में अपना वोट डालने की इजाजत दी जाए। मिजोरम में कई प्रमुख राजनीतिक दलों ने सुझाव दिया है कि त्रिपुरा के राहत शिविरों में 11,232 ब्रू मतदाताओं को अपने गांवों में लौट आना चाहिए और खुद को मतदाता सूची में नामांकित कराने के बाद उन्हें अपना वोट डालना चाहिए। 

राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री जोरामथांगा ने एक साक्षात्कार में कहा, ‘‘शशांक के लिए यह बहुत ही मूर्खतापूर्ण बात थी। इसे रोका जा सकता था। वे मूर्ख की तरह व्यवहार कर रहे थे। यही कारण है कि ईसीआई ने उन्हें वापस बुला लिया और लोग उनके खिलाफ विरोध कर रहे हैं।’’ उन्होंने कहा कि ब्रू लोग मिजोरम लौट आएं और मतदाता सूची में अपना नाम डलवाएं। शशांक ने राज्य में चुनाव के दौरान केंद्रीय सशस्त्र पुलस बल (सीएपीएफ) की 40 कंपनियों को तैनात करने की भी मांग की थी, जिसका चौतरफा विरोध हुआ था। 

राज्य की सत्ताधारी पार्टी कांग्रेस ने शशांक पर मिजो-विरोधी होने और चुनाव से पहले शांतिपूर्ण माहौल को बिगाड़ने का आरोप लगाया है। कांग्रेस के एक प्रवक्ता ने कहा कि हम चाहते हैं कि ब्रू समुदाय के लोग मतदाता सूची में अपना नाम डलवाकर मतदान करें। यही हमारा रुख है। भाजपा की मिजोरम इकाई के प्रभारी पवन शर्मा ने कहा, ‘‘लोकतंत्र में प्रत्येक व्यक्ति को वोट देने का अधिकार होता है। जो भी चुनाव आयोग निर्णय लेता है, तदनुसार उन्हें (ब्रू समुदाय) मतदान करना चाहिए। हमें लगता है कि अधिकतम मतदान के लिए ज्यादा-से-ज्यादा मतदान केंद्र स्थापित किए जाने चाहिए।’’ उल्लेखनीय है कि मिजोरम में 40 सदस्यीय विधानसभा के चुनाव 28 नवंबर को होने हैं।