Hindi News इलेक्‍शन लोकसभा चुनाव 2019 इस राज्य के इतिहास में केवल एक ही मुस्लिम उम्मीदवार को अबतक मिली है जीत

इस राज्य के इतिहास में केवल एक ही मुस्लिम उम्मीदवार को अबतक मिली है जीत

इतिहास की बात की जाए तो राजस्थान में कांग्रेस कम से कम एक सीट पर मुस्लिम उम्मीदवार उतारती रही है। 1952 के पहले आम चुनाव में उसने जोधपुर से यासीन नूरी को टिकट दिया था।

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जयपुर: राजस्थान में लोकसभा की 25 सीटें हैं और लगभग 10 प्रतिशत मतदाता मुस्लिम समुदाय से हैं लेकिन लोकसभा चुनावों में मुस्लिम उम्मीदवारों का प्रदर्शन अच्छा नहीं रहा है। केवल एक ही मुस्लिम उम्मीदवार अब तक जीतकर लोकसभा में पहुंचा है। भाजपा ने भले ही बीते लगभग चार दशक में किसी मुस्लिम को लोकसभा चुनाव में अपना प्रत्याशी नहीं बनाया हो लेकिन कांग्रेस लगातार इस समुदाय से लोगों को टिकट देती रही है। हालांकि जीत केवल अयूब खान को मिली जो राज्य की झुंझुनू सीट से दो बार 1984 और 1991 में जीते। वह केंद्र में मंत्री भी रहे।

इतिहास की बात की जाए तो राजस्थान में कांग्रेस कम से कम एक सीट पर मुस्लिम उम्मीदवार उतारती रही है। 1952 के पहले आम चुनाव में उसने जोधपुर से यासीन नूरी को टिकट दिया था। इसके बाद भी उसने राज्य की अलग अलग सीटों पर मुस्लिम उम्मीदवार उतारे लेकिन कोई भी सफल नहीं रहा। इस लिहाज से पहली और आखिरी सफलता अयूब खान को झुंझुनू सीट पर मिली जो कांग्रेस की टिकट पर दो बार जीते।

अयूब खान की कहानी भी रोचक है। वह सेना में रिसालदार रहे। 1965 की लड़ाई में पाकिस्तानी सेना के छक्के छुड़ाने के लिए वीरचक्र से सम्मानित हुए और दो बार सांसद चुने गए। केंद्र में मंत्री भी रहे लेकिन अपने बाद के दिनों में राजनीति से अलग हो गए। पिछले कुछ चुनावों की बात की जाए तो कांग्रेस की ओर से 1999 के चुनाव में अबरार अहमद झालावाड़ सीट से, 2004 के चुनाव में हबीबुर्ररहमान अजमेर से, 2009 में रफीक मंडेलिया चुरू सीट से व 2014 में मोहम्मद अजहरूद्दीन टोंक सवाई माधोपुर सीट से लड़े और हारे। जहां तक भाजपा का सवाल है तो उसने लगभग चार दशक से किसी मुस्लिम को अपना उम्मीदवार नहीं बनाया है।

समाज विज्ञानी सिकंदर नियाजी इसके लिए दो बड़े कारण मानते हैं। उनके अनुसार,' एक तो राजनीतिक पार्टियां सिर्फ औपचारिकता पूरी करने के लिए अल्पसंख्यक समुदाय से एक आध उम्मीदवार बना देती है। उनकी सीट बार बार बदली जाती है जबकि अगर एक ही सीट पर फोकस रखा जाए तो जीतने की संभावना ज्यादा रहती है।'

इसके अलावा अल्पसंख्यक समुदाय की कुछ आंतरिक दिक्कतें भी हैं जैसे कि संसाधनों में अन्य उम्मीदवारों की तुलना में कमजोर पड़ जाना आदि। नियाजी के अनुसार झुंझुनू की सीट मतदाताओं की संख्या के लिहाज से मुस्लिम उम्मीदवार के लिए ज्यादा अच्छी है लेकिन कांग्रेस ने इस बार चुरू से रफीक मंडेलिया को टिकट दी है।

उल्लेखनीय है कि कांग्रेस ने इस बार चूरू से रफीक मंडेलिया को मैदान में उतारा है। इस तरह से उसने राजस्थान में लोकसभा चुनाव में कम से कम एक मुस्लिम को टिकट देने की परंपरा जारी रखी है। मंडेलिया ने 2009 का लोकसभा चुनाव लड़ा था। हाल ही में विधानसभा चुनाव में वह 1800 मतों के मामूली अंतर से हारे। भाजपा ने इस बार भी राज्य में किसी मुस्लिम को अपना प्रत्याशी नहीं बनाया है।