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Hindi News बिज़नेस भारत ब्रॉडबैंड रैंकिंग में 125वें स्थान से फिसलकर 131वें स्थान पर: संरा रिपोर्ट

भारत ब्रॉडबैंड रैंकिंग में 125वें स्थान से फिसलकर 131वें स्थान पर: संरा रिपोर्ट

संयुक्त राष्ट्र: भारत ब्रॉडबैंड की पैठ बढ़ाने के लिहाज से वैश्विक रैंकिंग में फिसला है लेकिन देश में इंटरनेट के उपयोग करने वालों के प्रतिशत के लिहाज से उसने थोड़ी प्रगति दर्ज की है। यह

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संयुक्त राष्ट्र: भारत ब्रॉडबैंड की पैठ बढ़ाने के लिहाज से वैश्विक रैंकिंग में फिसला है लेकिन देश में इंटरनेट के उपयोग करने वालों के प्रतिशत के लिहाज से उसने थोड़ी प्रगति दर्ज की है। यह बात संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट में कही गई है। संयुक्त राष्ट्र ब्रॉडबैंड आयोग ने सतत विकास लक्ष्यों को लेकर होने वाले शिखर सम्मेलन और इसके साथ ही 26 सितंबर को सतत विकास के लिए ब्राडबैंड आयेाग की समांतर बैठक से पहले यह रिपोर्ट जारी की है। रिपोर्ट में कहा गया कि विश्व की 57 प्रतिशत आबादी इंटरनेट से जुड़ी नहीं है और वह इंटरनेट से उपलब्ध विशाल आर्थिक एवं सामाजिक लाभ का फायदा उठाने में नाकाम हैं। भारत 2014 में फिक्स्ड ब्राडबैंड ग्राहकों के लिहाज से 189 देशों में 131वें स्थान पर रहा जबकि साल भर पहले ऐसे ग्राहकों की संख्या के लिहाज से वह 125वें स्थान पर था।

जहां तक सक्रिय मोबाइल-ब्राडबैंड ग्राहकों की संख्या की बात है इसमें भारत 155वें स्थान पर है जो 2013 में दर्ज 113वें स्थान से काफी कम है। भारत 2014 में व्यक्तिगत इंटरनेट उपयोग के लिहाज से 136वें स्थान पर रहा और यहां 18 प्रतिशत लोग इंटरनेट का उपयोग कर रहे थे जबकि एक साल पहले 2013 में भारत इस मामले में 142वें स्थान पर था और 15.1 प्रतिशत लोग इंटरनेट का उपयोग करते थे।

इंटरनेट का उपयोग करने वाले परिवार के लिहाज से भारत 133 विकासशील देशों में 80वें स्थान पर रहा और इन परिवारों की संख्या 15.3 प्रतिशत है। इस लिहाज से भारत 2013 में 75वें स्थान पर था जबकि 13 प्रतिशत परिवार इंटरनेट का उपयोग करते थे। रिपोर्ट में कहा गया कि सबसे संपर्क साधने के लिए विश्व की विभिन्न भाषाओं विशेष तौर पर अफ्रीका, भारत और दक्षिण-पूर्व एशिया जैसे भाषा विविधता के साथ विभिन्न क्षेत्रों और देशों में ऑनलाइन प्रतिनिधित्व बढ़ाना काफी महत्वपूर्ण है। आयोग के सह-उपाध्यक्ष हूलिन झाओ और यूनेस्को की महानिदेशक आइरीना बोकोवा ने कहा संयुक्त राष्ट्र सतत विकास लक्ष्य हमें यह याद दिलाता है कि हमें वैश्विक विकास लक्ष्यों का आकलन पीछे छूट गए लोगों की संख्या के मुताबिक करना है। रिपोर्ट में कहा गया है कि अब दुनिया में 3.2 अरब लोग संपर्क साधने की सुविधा से जुड़े है। एक साल पहले यह संख्या 2.9 अरब थी। यह संख्या वैश्विक आबादी की 43 प्रतिशत है।

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