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बिहार नहीं आ पाएंगी आंध्र प्रदेश और पश्चिम बंगाल की मछलियां

बिहार मछली थोक विक्रेता संघ के सचिव अनुज बताते हैं कि आंध्र प्रदेश से करीब 350 टन मछली बर्फ के बक्सों से भरे ट्रकों के जरिए रोज बिहार के अलग-अलग हिस्सों में पहुंचती हैं। पटना में मछली की होने वाली खपत में आंध्र प्रदेश की भागीदारी 80 फीसदी की होती है।

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पटना: बिहार में स्वास्थ्य विभाग ने आंध्र प्रदेश और पश्चिम बंगाल से आने वाली मछलियों की बिक्री पर रोक लगा दी है। इससे अब यहां के लोग आंध्र प्रदेश और पश्चिम बंगाल की मछलियों का स्वाद नहीं चख सकेंगे। स्वास्थ्य विभाग जहां इस रोक के पीछे स्वास्थ्य के प्रतिकूल प्रभाव को कारण बता रही है, वहीं मछली व्यापारी सरकार के इस फैसले को लेकर गुस्से में हैं। स्वास्थ्य विभाग के प्रधान सचिव संजय कुमार का कहना है कि आंध्र प्रदेश से आने वाली मछलियों की जांच में स्वास्थ्य के लिए हानिकारक फार्मोलिन पाया गया है। उन्होंने कहा कि ये रसायन स्वास्थ्य के लिए बेहद हानिकारक है। 

उन्होंने बताया कि करीब तीन महीने पहले पशुपालन एवं मत्स्य विभाग ने पटना शहर से मछलियों के 25 नमूने (सैंपलों) की जांच की थी। इन सबमें फार्मेलिन, लेड और कैडमियम पाए थे। इसके बाद यह रिपोर्ट स्वास्थ्य विभाग के पास आया था। 

बिहार मछली थोक विक्रेता संघ के सचिव अनुज बताते हैं कि आंध्र प्रदेश से करीब 350 टन मछली बर्फ के बक्सों से भरे ट्रकों के जरिए रोज बिहार के अलग-अलग हिस्सों में पहुंचती हैं। पटना में मछली की होने वाली खपत में आंध्र प्रदेश की भागीदारी 80 फीसदी की होती है। ऐसे में आंध्र प्रदेश की मछलियों की बिक्री पर रोकने से यहां के मछली व्यापारियों पर प्रतिकूल असर पड़ेगा। 

अनुज कुमार दावा करते हैं, "अन्य प्रदेशों से आयातित मछली में ्रफार्मलिन सहित अन्य हानिकारक रसायनों की मात्रा निर्धारित सीमा से अधिक नहीं होती है।" 

उन्होंने सरकार के इस निर्णय के खिलाफ विरोध प्रदर्शन करने की घोषणा की है। उन्होंने कहा कि सरकार यदि अपने निर्णय को वापस नहीं लेती तो है तो 17 जनवरी को राज्यव्यापी आंदोलन शुरू किया जाएगा और अदालत का भी रुख किया जाएगा। 

नालंदा मेडिकल कॉलेज अस्पताल के चिकित्सक डॉ़ विपिन सिंह कहते हैं, "फार्मेलिन का शरीर में पहुंचना बहुत हानिकारक है। इसका असर व्यक्ति के पाचन तंत्र, पेट दर्द से लेकर डायरिया के रूप में सामने आता है। इससे किडनी और लिवर की गंभीर बीमारियों समेत कैंसर होने का भी खतरा होता है।" 

इधर, मछली के एक व्यापारी ने नाम नहीं प्रकाशित करने की शर्त पर बताते हैं कि मछली को सड़ने से बचाने के लिए भी फार्मेलिन का इस्तेमाल होता है। उन्होंने कहा कि आंध्र प्रदेश से आनी वाली मछलियां वैसे तो बर्फ में रखकर यहां लाई जाती हैं, मगर वे कब वहां 'पैक' की जाती हैं, इसका पता यहां के व्यापारियों को नहीं रहता। 

इधर, पटना के राजा बजार के मछली गली के व्यापारी सुंदर सहनी बताते हैं कि जब से यह मामला लोगों की नजर में आया है तब से मछलियों की बिक्री कम हो गई है।  उन्होंने कहा, "फार्मेलिन की खबर सामने आने के बाद से ही आंध्र प्रदेश वाली मछली की बिक्री कम हो गई थी। अब बंद होने के बाद तो मांग के अनुसार मछली की आपूर्ति ही नहीं हो पाएगी। बिहार के बाजारों में आध्र प्रदेश की मछली बड़ी मात्रा में आती है।" 

स्वास्थ्य विभाग के प्रधान सचिव संजय कुमार ने कहा कि फिलहाल आंध्र प्रदेश और पश्चिम बंगाल आई मछलियों पर रोक केवल पटना में 15 दिनों के लिए लगाई गई है। 15 दिनों के बाद स्वास्थ्य विभाग आगे का निर्णय लेगी। 

उन्होंने कहा कि इन दो राज्यों से आने वाली मछलियों के भंडारण और ट्रांसपोर्टेशन पर भी रोक लगाई गई। उन्होंने कहा कि पटना नगर निगम क्षेत्र में कोई मछली बेचते पकड़ा जाता है तो उसे सात साल की सजा और 10 लाख रुपये का जुर्माना हो सकता है। उन्होंने कहा कि इसके लिए पटना जिलाधिकारी को जांच का जिम्मा सौंपा गया है। स्वास्थ्य विभाग ने इसे लेकर आदेश जारी कर दिया है। इसके लिए जागरूकता अभियान भी चलाया जाएगा।